3294 करोड़ की लागत से बनेगा बेतिया-कुशीनगर ग्रीनफील्ड फोरलेन, पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल से होगा तैयार

Bettiah-Kushinagar greenfield Four lane: बिहार के बेतिया से यूपी के कुशीनगर तक प्रस्ताविक ग्रीनफील्ड फोरलेन पीपीपी मॉडल पर बनाया जाएगा.

By Prashant Tiwari | February 16, 2025 3:56 PM
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केंद्र सरकार ने अपने बजट में ऐलान किया था कि बिहार में ग्रीनफील्ड फोरलेन बनाया जाएगा. अब सरकार अपने वादे पर तेजी से काम कर रही है. बताया जा रहा है कि केंद्र सरकार बिहार के बेतिया से   उत्तर प्रदेश के कुशीनगर के बीच ग्रीनफील्ड फोरलेन हाइवे के निर्माण किया जाएगा. केंद्र सरकार ने इससे जुड़े प्रस्ताव को आगे बढ़ा दिया है. यह फोरलेन पीपीपी मॉडल से तैयार होगा. इसके निर्माण को लेकर पीपीपी मूल्यांकन समिति इसी महीने बैठक करने जा रही है. 

मार्च में निकलेगा टेंडर

जानकारी के मुताबिक इस ग्रीनफील्ड हाइवे का मार्च महीने में टेंडर निकाला जाएगा. इसके बाद जून 2025 में निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने 20 जनवरी को वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के सचिव को बिहार-यूपी के बीच नए वैकल्पिक एनएच के निर्माण संबंधी प्रस्ताव भेजा था. मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पश्चिम चंपारण (बेतिया) और कुशीनगर (सेवरही) के बीच एनएच संख्या 727 ए.ए का निर्माण किया जाएगा. 29.24 किलोमीटर लंबा यह राजमार्ग एकदम नया अलाइनमेंट (ग्रीनफील्ड) होगा. 

2029 में बनकर होगा तैयार

अधिकारी ने बताया कि प्रस्ताव के मुताबिक जून 2029 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस पर 3294.16 करोड़ रुपये का खर्च आएगा. यानी 112.66 करोड़ रुपये प्रति किलोमीटर की लागत आएगी. इसमें हाइवे निर्माण, जमीन अधिग्रहण का मुआवजा, बिजली के पोल एवं पानी की पाइपलाइनें हटाने आदि का खर्च शामिल है. 29.24 किलोमीटर लंबे बेतिया-सेवरही नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट में गंडक नदी पर बेतिया के पास बड़े पुलों का निर्माण भी किया जाएगा. इसके अलावा पेव्ड शोल्डर (पक्के किनारे) युक्त सर्विस रोड भी होगा. इस हाइवे पर 8 लेन चौड़ा टोल प्लाजा होगा. 

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क्या होता है पीपीपी मॉडल से होगा तैयार?

बता दें कि पीपीपी मॉडल का फुल फॉर्म पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप है. यह एक ऐसा समझौता है जिसके तहत सरकार और निजी क्षेत्र की कंपनियां मिलकर किसी परियोजना को पूरा करती हैं. इस मॉडल का मकसद, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच जोखिम और फ़ायदे को बांटना होता है. 

पीपीपी मॉडल के फायदे 

इस मॉडल से परियोजनाएं सही लागत पर और समय से पूरी हो जाती हैं.

परियोजनाओं के समय से पूरा होने से सरकार की आय बढ़ती है.

परियोजनाओं को पूरा करने में श्रम और पूंजी संसाधनों की उत्पादकता बढ़ती है.

पीपीपी मॉडल से बुनियादी ढांचे का विकास होता है.

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