Bhagalpur: महीने भर में 100 कारोबारियों ने कराया ट्रेड लाइसेंस रिन्यूअल, निगम के खजाने में आया 7 लाख
Bhagalpur : भागलपुर जिले में महीने भर में 100 कारोबारियों ने ट्रेड लाइसेंस रिन्यूअल कराया है. निगम के खजाने में 7 लाख से अधिक का राजस्व आया है. नवीकरण नहीं कराने पर जुर्माने का प्रावधान होता है.
By Ashish Jha | April 22, 2024 4:40 AM
Bhagalpur: भागलपुर. ट्रेड लाइसेंस का नवीकरण नहीं करने पर जुर्माने का प्रावधान है. जुर्माना से बचने के लिए कारोबारियों की ओर से आवेदन आने लगे हैं. बीते एक माह में नगर निगम ने 100 से ज्यादा कारोबारियों के ट्रेड लाइसेंस को आवेदन के आधार पर नवीकरण किया है. इससे निगम को 07 लाख राजस्व की प्राप्ति हुई है. वहीं, निगम का ट्रेड लाइसेंस शाखा कारोबारियों के ट्रेड लाइसेंस की भी जांच कर रही है. जिनके पास लाइसेंस नहीं है, उन्हें लेने के लिए प्रेरित कर रहा है. बिना ट्रेड लाइसेंस के दुकान चलाने वालों को नफा-नुकसान के बारे में भी बता रहा है. बताया जा रहा है कि ट्रेड लाइसेंस नहीं है, तो बैंक से भी लोन की उम्मीद नहीं की जा सकती है. व्यापार करने वाले प्रत्येक व्यवसाय के लिए ट्रेड लाइसेंस होना आवश्यक है. ट्रेड लाइसेंस शाखा के प्रभारी देवेंद्र वर्मा ने बताया कि एक महीने में 100 से ज्यादा ट्रेड लाइसेंस को रिन्यूअल किया है और इससे करीब 7 लाख राजस्व प्राप्त हुआ है.
ट्रेड लाइसेंस के बिना चल रहीं 12 हजार दुकानें, हर साल लाखों की राजस्व क्षति
शहर में अधिकतर दुकानें बिना ट्रेड लाइसेंस नियम कानून के बिना संचालित है. ऐसे दुकानदारों को नियम कानून की कोई परवाह नहीं है. सिर्फ दुकान खोल संचालन शुरू कर देते हैं. दुकानदारों की ऐसी रवैया और नगर निगम पदाधिकारी की उदासीनता के कारण विभाग को भी राजस्व का चूना लग रहा है. इसके बावजूद इस ओर पदाधिकारियों द्वारा ध्यान नहीं दिया जा रहा है. निगम के ही अनुसार शहरी क्षेत्र में आकलन के मुताबिक 15 हजार से अधिक छोटी-बड़ी दुकानें संचालित हो रही है लेकिन अधिकांश के पास नगर परिषद द्वारा व्यापार करने का अनुमति के लिए ट्रेड लाइसेंस नहीं है. करीब 2500 कारोबारियों के पास ही ट्रेड लाइसेंस है. वहीं, निगम पूरे शहर की दुकानों का सर्वे करें, तो इसकी संख्या और ज्यादा हो सकती है.
बेकार बैठे निगम के तहसीलदारों को निगम प्रशासन ने पर्यवेक्षक बना दिया है. तहसीलदार अब जन्म-मृत्यु की रिपोर्ट की जांच करेंगे. म्यूटेशन से लेकर होल्डिंग से संबंधित अगर कोई मामला आया, तो उसकी जांच कर रिपोर्ट तैयार करेंगे. दरअसल, होल्डिंग टैक्स की वसूली के लिए नगर निगम ने जब से एजेंसी बहाल की है, तभी से टैक्स कलेक्टरों (तहसीलदार) के पास करने को काम नहीं रह गया था. यह मुद्दा सामान्य बोर्ड की बैठक में पार्षदों ने भी उठाया था. यह देख कर निगम प्रशासन ने सभी टैक्स कलेक्टर को पर्यवेक्षक बना दिया है.
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