Bihar Land Survey: आवेदनों की लग रही ढेर, निष्पादन नहीं हुआ, तो फंसेगी सर्वेक्षण की प्रक्रिया

Bihar Land Survey कई ऐसे लोग हैं, जिनकी जमीन खतियानी है और उसमें अभी भी पूर्वजों का नाम है. अब इन्हें ऐसी जमीन को लेकर परेशानी हो रही है कि कैसे ससमय सारे कागजात वर्तमान वंशजों के नाम किया जा सके. ऐसी और भी समस्याएं हो रही हैं.

By RajeshKumar Ojha | September 8, 2024 6:00 AM
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संजीव झा, भागलपुर

Bihar Land Survey भागलपुर जिले में विशेष भू-सर्वेक्षण की कार्रवाई के तहत 1379 राजस्व गांवों में ग्रामसभा का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें भू सर्वेक्षण के दौरान जमा किये जानेवाले कागजात और इसकी प्रक्रिया की जानकारी दी जा रही है. लेकिन अभी भी लोग इस प्रक्रिया को लेकर भ्रम की स्थिति में हैं. कई ऐसे लोग हैं, जिनकी जमीन खतियानी है और उसमें अभी भी पूर्वजों का नाम है. अब इन्हें ऐसी जमीन को लेकर परेशानी हो रही है कि कैसे ससमय सारे कागजात वर्तमान वंशजों के नाम किया जा सके. ऐसी और भी समस्याएं हो रही हैं.

समस्या : म्यूटेशन समय पर नहीं कराने की
काबिल लगान यानी 10, 20 साल तक म्यूटेशन नहीं कराने पर उस जमीन पर कब्जा जमीन मालिक का होता तो है, लेकिन रेकॉर्ड में उसका मालिक बिहार सरकार हो जाता है. ऐसी स्थिति में उन्हें वह जमीन खुद के नाम से दर्ज कराने में परेशानी हो रही है. काबिल लगान तोड़वाने के तकरीबन 500 आवेदन सुलतानगंज अंचल में लंबित है. सीओ का कहना है कि हमलोग डीसीएलआर को ऐसे आवेदन भेज देते हैं. अंतिम आदेश उन्हीं का होना है, इसलिए वे अपने स्तर से कुछ नहीं कर सकते हैं.

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समस्या : जमीन पर मालिकाना हक के लिए विवाद
1972 में सर्वे हुआ था. इसमें कुछ पूर्व के जमीन मालिक की जमीन किसी और के नाम से हो गयी थी. वर्तमान में उसमें कई जमीन बिक गयी. अब इस विशेष सर्वेक्षण में पूर्व के मालिक और वर्तमान मालिक के बीच विवाद हो गया है. एक के द्वारा कहा जा रहा है कि उसके नाम से खतियान है, तो जमीन उसकी है. वहीं दूसरे मालिक का कहना है कि उसके नाम से जमीन निबंधित है, तो मालिक वह खुद हैं. इस विवाद के कारण भी सर्वेक्षण को लेकर परेशानी बनी हुई है. दोनों से आवेदन लिया जा रहा है और बाद में आपत्ति लेने के बाद उसके निराकरण करने का भरोसा दिलाया जा रहा है.

समस्या : पर्चाधारी का क्या होगा
कई मौजे हैं, जहां पर्चाधारी हैं. पर्चाधारी के पर्चे की जमीन का नियम के अनुसार न तो म्यूटेशन होता है और न लगान रसीद कटती है. अब ऐसे पर्चाधारी सर्वेक्षण को लेकर अपनी जमीन पर हक के लिए आवेदन दे रहे हैं. रोज सीओ के पास पर्चाधारी पहुंच रहे हैं. पदाधिकारी का कहना है कि पर्चे की जमीन का भी सर्वे होगा, लेकिन यह जमीन बिहार सरकार के नाम से सर्वे के अधीन आयेगी. पर्चाधारी को सरकार ने रहने दिया है, उन्हें भगाया नहीं जा रहा है. वे अपनी जमीन पर रहें. पर्चे की जमीन की खरीद-बिक्री करने का अधिकार पर्चाधारी को नहीं है, इसलिए इस जमीन का सर्वे बिहार सरकार के नाम से ही होगा. लेकिन पर्चाधारी अपने नाम से सर्वे कराना चाहते हैं.

समस्या : फर्जी तरीके से बेची गयी जमीन पर किसका हक
कुछ ऐसे भी केस आ रहे हैं कि जमीन खतियानी है और उसका मालिक कोई पूर्वज हैं, जिनका निधन हो चुका है. उनकी तीन संतानें हैं. उनमें एक संतान ने बिना बंटवारा कराये जमीन का कुछ हिस्सा दूसरे को बेच दी, लेकिन वंशावली और बंटवारा नहीं होने के कारण म्यूटेशन नहीं हो रहा है. ऐसी स्थिति में बाकी के हिस्सेदार इस बात से परेशान हैं कि उनकी पूरी प्रोपर्टी में उन्हें बराबर का हिस्सा मिलेगा या नहीं. उन्हें आशंका है कि फर्जी तरीके से बेची गयी जमीन उनके हाथ से चली न जाये.

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