पुल के कई स्थानों पर ज्वाइंट का गैप बढ़ा
विशेषज्ञों की जांच अब तक नहीं हो पाई जबकि पिछले 10 महीनों में विभाग की ओर से मुख्यालय को 6 से 7 बार पत्र भेजे जा चुकें है. पुल के कई स्थानों पर ज्वाइंट का गैप इतना बढ़ चूका है कि निचे गंगा नदी और जमीन दिखाई देने लगी है. पुल की बियरिंग भी खराब हो चुकी है जिसके कारण पुल की संरचना पर प्रभाव पड़ रहा है. कुछ दिन पहले ही पुल पर हुई दो वाहनों की टक्कर में आधा दर्जन लोग घायल हो गये. ओवरलोड वाहनों की आवाजाही से स्थिति और खराब होते जा रही है.
2016 में 15 करोड़ की लागत में करायी गई थी पुल की मरम्मत
2016 में इस पुल की मरम्मत मुंबई की एक कंपनी से 15 करोड़ की लागत में करायी गई थी. उस वक्त दावा किया गया था कि अगले 20 साल तक इस पुल में कोई दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन असलियत में 6 साल में ही हालत फिर बिगड़ चुकी है. मास्टिक बिछाकर बनाई गई सड़क अब उखड चुकी है और जर्जर हालत में है. पुल के साथ-साथ पुल तक पहुंचने वाला रास्ता भी खराब हो चूका है.
भारी वाहनों की संख्या अधिक
अधिकारियों ने बताया की चीफ इंजीनियर ने बिहार राज्य पुल निर्माण निगम को पत्र लिखकर विशेषज्ञों से तुरंत जांच कर विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है. रोजाना इस पुल से लगभग 20 से 25 हजार गाड़ियां गुजरती है, जिनमे भारी वाहनों की संख्या अधिक है. यह अतिरिक्त दबाव पुल के लिए खतरनाक होते जा रहा है यदि जल्द ही सुधार नहीं किया गया तो इस पुल का अस्तित्व खतरे में आ सकता है.
लोगों ने जताई नाराजगी
स्थानीय लोगों और यात्रियों ने इस स्थिति को लेकर गहरी नाराजगी जताई है. लोगों का कहना है कि विक्रमशिला सेतु के प्रति सरकार की लापरवाही यात्रियों के लिए जानलेवा हो सकती सकती है. पुल से गुजरते समय वाहन चालक डर के साए में सफर करते है. खासकर स्कूल बस, एम्बुलेंस और यात्रियों से भरी बसों के लिए स्तिथि और भी खतरनाक हो चुकी है. स्थानीय जनप्रतिनिधियों की मांग है कि जल्द से जल्द सेतु की मरम्मत करायी जाए. विभागीय लापरवाही अगर ऐसे ही जारी रही तो वो समय दूर नहीं की इस पुल को बंद करना पड़ जाए. (मृणाल कुमार की रिपोर्ट)
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