आदमपुर स्थित प्रभात खबर कार्यालय में रविवार को आयोजित लीगल काउंसलिंग में आयकर मामलों के विशेषज्ञ भागलपुर व्यवहार न्यायालय के वरीय अधिवक्ता घनश्याम शर्मा ने पाठकों को कानूनी सलाह दी. इस दौरान उन्होंने कहा कि कोई भी व्यावसायिक संस्थान अगर ऑनलाइन माध्यम से भुगतान लेने से इनकार करता है, तो यह संदेहास्पद है. ऐसी स्थिति में संबंधित पदाधिकारी या पुलिस से शिकायत कर सकते हैं. कहा कि आज छोटे व्यापारी जैसे चाय बेचने वाले, किराना दुकानदार, कपड़े-जूते की दुकान, फल-सब्जी विक्रेता तक ऑनलाइन भुगतान ले रहे हैं, लेकिन बड़े संस्थान, खासकर नर्सिंग होम, अस्पताल, पैथोलॉजी, कुछ कोचिंग सेंटर और प्राइवेट कॉलेज टैक्स से बचने के लिए ऑनलाइन भुगतान नहीं लेते. कहा कि ऐसे संस्थानों की गतिविधि आयकर चोरी की ओर इशारा करती है. उन्होंने आम लोगों से अपील की कि वह हर बड़े भुगतान को डिजिटल माध्यम से करें और यदि कोई इनकार करे, तो लिखित शिकायत दर्ज कराएं. इससे न केवल पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि सरकार को राजस्व हानि से भी बचाया जा सकेगा. लीगल काउंसलिंग में पाठकों ने दूरभाष के माध्यम से अधिवक्ता से कई प्रश्न पूछे, जिसका उन्होंने जवाब दिया. 1. प्रश्न – मैं हर महीने क्रिप्टोकरेंसी से 25,000 रुपये कमा रहा हूं, लेकिन वह मेरे बैंक खाते में नहीं आता, तो क्या उस पर भी टैक्स देना होगा.
उत्तम पाठक, सराय, भागलपुर
2. मैंने तीन साल पहले एक जमीन बेची थी, लेकिन रजिस्ट्री किसी और नाम से हुई. अब नोटिस आया है, इसमें मेरी क्या गलती है.
दीनानाथ शर्मा, नाथनगर, भागलपुर
3. मेरी मां की पेंशन पर मैंने अपना एफडी करवा दिया है, लेकिन ब्याज मेरे पैन पर आ रहा है. क्या मुझे टैक्स देना पड़ेगा.
रामावतार सिंह, मोजाहिदपुर
4. अगर मैं हर साल पांच लाख कैश में शादी समारोह के नाम पर खर्च करता हूं, तो क्या आयकर विभाग इसे पर्सनल खर्च मानेगा या पूछताछ करेगी.
प्रशांत व्यास, तिलकामांझी
5. प्रश्न – मेरी इनकम तो भारत से है, लेकिन मैं दुबई में रहता हूं. क्या मुझे भारत में टैक्स देना पड़ेगा.
असलम शेख, हुसैनाबाद, भागलपुर
6. प्रश्न – मकान रजिस्ट्री कराने के नाम पर दोस्त ने पैसा लिया. जिसका लिखित एग्रीमेंट करवाया गया, लेकिन अब वह पैसा देने से इनकार कर रहा है, क्या करना चाहिए.
दिलखुश मिश्रा, नवगछिया.
7. प्रश्न – नवगछिया में कुछ ऐसे संस्थान हैं, जो ऑनलाइन या यूपीआइ पेमेंट से इनकार कर रहे हैं, क्या करना चाहिए.
वरुण झा, गोसाईंगांव
8 . प्रश्न – मैं एक ट्रस्ट का संचालक हूं, क्या मुझे हर वर्ष अपने संस्थान के वित्तीय लेखा जोखा की ऑडिट करानी चाहिए.
विकास कुमार, नवगछिया.
पक्की रसीद मांगना हर नागरिक का कर्तव्य
अधिवक्ता घनश्याम शर्मा ने कहा कि आयकर देश के विकास की रीढ़ है. सड़क, बिजली, स्वास्थ्य, शिक्षा जैसे बुनियादी ढांचे के निर्माण में इसी कर से सरकार को संसाधन मिलते हैं. ऐसे में हर नागरिक का कर्तव्य है कि वह खरीददारी करते समय पक्की रसीद जरूर मांगे. बताया कि कई व्यवसायिक संस्थान जानबूझकर ‘कच्छी रसीद’ यानी बिना बिल के सामान बेचते हैं, ताकि टैक्स चोरी कर सकें. यह प्रवृत्ति देश के आर्थिक विकास में बाधा है. उन्होंने कहा कि अगर लोग पक्की रसीद की मांग करें, तो दुकानदारों को मजबूरी में टैक्स देना पड़ेगा. कहा कि पक्की रसीद न केवल उपभोक्ता का अधिकार है बल्कि भविष्य में किसी विवाद की स्थिति में कानूनी सबूत भी बनती है. शर्मा ने नागरिकों से अपील की कि वह टैक्स चोर संस्थानों को बढ़ावा न दें और करदाताओं की जिम्मेदारी निभाते हुए हर खरीदारी का प्रमाण जरूर लें. यह जिम्मेदारी निभाना ही सच्ची देशभक्ति है.
सात लाख तक की आय पर नहीं देना होगा कोई टैक्स
कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए केंद्र सरकार द्वारा लागू की गई नई आयकर स्कीम के तहत अब सात लाख रुपये तक सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं देना होगा. अगर किसी व्यक्ति की कुल टैक्सेबल आय सात लाख रुपये या उससे कम है, तो नई टैक्स प्रणाली अपनाने पर उनकी कर देयता शून्य हो जाती है. यह स्कीम उन वेतनभोगी, छोटे व्यापारी और प्रोफेशनल्स के लिए राहत की खबर है, जिनकी वार्षिक आमदनी सीमित है. अधिवक्ताओं ने सलाह दी कि करदाता नई स्कीम के लाभ और शर्तों को समझते हुए आयकर रिटर्न भरें, ताकि वह अधिकतम छूट का लाभ उठा सकें.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है