विश्व जनसंख्या दिवस पर भारतीय पोषण संघ, पीजी गृह विज्ञान आहार एवं पोषण विभाग व सफाली संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया. सफाली रिसर्च सेंटर सराय में ऑफलाइन व ऑनलाइन मोड में आयोजित सेमिनार का विषय था जनसंख्या एवं स्वास्थ्य भारत पर प्रभाव. देश भर के प्रख्यात शिक्षाविदों, विशेषज्ञों और समाजसेवियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए. कार्यक्रम में बड़ी संख्या में शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थियों की सहभागिता रही. बीएनएमयू मधेपुरा के मनोविज्ञान विभाग के हेड प्रो एमआई रहमान ने कहा कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या एक चुनौती जरूर है, लेकिन अगर उसे शिक्षित, जागरूक और कुशल बनाया जाए, तो वही जनसंख्या देश की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है. बीएनएमयू के पूर्व कुलपति डॉ एके राय ने कहा कि भारत जैसे देश में स्वास्थ्य सेवाओं को जनसंख्या के अनुपात में मजबूत करना समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है. जब तक गांव-गांव में स्वास्थ्य व शिक्षा की सुविधा नहीं पहुंचेगी, तब तक संतुलित विकास संभव नहीं होगा. भारतीय पोषण संघ भागलपुर चैप्टर के सह संयोजक व जेपीयू छपरा के पूर्व कुलपति डॉ फारूक अली ने अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में कहा कि पोषण और जनसंख्या के बीच गहरा संबंध है. यदि जनसंख्या बढ़ती है और पोषण स्तर गिरता है, तो इसका सीधा असर देश की उत्पादकता और सामाजिक स्थिरता पर पड़ता है. हर व्यक्ति तक पोषण पहुंचाना प्राथमिकता होनी चाहिये. कहा कि भारत में भौगौलिक, सामाजिक और सांप्रदायिक स्तर पर जनसंख्या की वृद्धि और उसके गुणवत्ता में व्यापक असंतुलन है. एक तरफ जनसंख्या वृद्धि घट रही है वहीं दूसरी तरफ दोगुनी रफ्तार से बढ़ रही है.
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