Bihar: कोर्ट और पुलिस मुख्यालय के नजदीक मिली सैकड़ों शराब की बोतलें, कुछ दूर पर बैठते हैं एसपी, चुप्पी पर उठ रहे सवाल
Bihar: बिहार के भागलपुर में एसपी ऑफिस और कोर्ट परिसर के नजदीक शराब की सैकड़ों बोतल मिली है. जिस राज्य में शराबबंदी कानून लागू हो वहां के पुलिस मुख्यालय के नजदीक अगर शराब की बोतल बरामद होगी तो सवाल उठाना लाजमी है.
By Paritosh Shahi | March 27, 2025 7:19 PM
Bihar: बिहार में लागू शराबबंदी कानून की सख्ती पर सवाल खड़े करने वाली एक चौंकाने वाली तस्वीर नवगछिया से सामने आई है. यहां न्यायालय और पुलिस प्रशासन के मुख्यालय के समीप सैकड़ों शराब की खाली बोतलें मिली हैं. यह नजारा राज्य सरकार की तथाकथित ‘शराबबंदी’ की सच्चाई को उजागर करने के लिए काफी है. नवगछिया अनुमंडल के कोर्ट परिसर और एसपी, एसडीपीओ कार्यालय, मध्य निषेध सह उत्पाद थाना नवगछिया, लोक शिकायत कार्यालय, भवन निर्माण विभाग, पीएचडी विभाग, बीएमपी कार्यालय के समीप भारी मात्रा में विदेशी और देसी शराब की खाली बोतलें बिखरी मिलीं. यह जगह कोई आम इलाका नहीं बल्कि प्रशासन का अभेद्य किला माना जाता है, जहां जिले के सबसे बड़े अधिकारी बैठते हैं. सवाल यह उठता है कि जब कानून के रखवालों की नाक के नीचे ही शराब पी जा रही हो, तो आम जनता से क्या उम्मीद की जाए?
कौन कर रहा है शराब की खपत?
अदालत में न्याय की गूंज होनी चाहिए, वहीं शराब की बोतलों की खनक सुनाई दे रही है. जहां कानून को पालन कराने की शपथ लेने वाले अधिकारी बैठते हैं, वहीं शराबखोरी का गोरखधंधा फल-फूल रहा है. इन सैकड़ों बोतलों को देखकर साफ है कि यह कोई इक्का-दुक्का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित धंधा है.
उठ रहे ऐसे सवाल
क्या प्रशासनिक अधिकारी ही इस शराब का सेवन कर रहे हैं? क्या यहां अवैध रूप से शराब लाई जा रही है? शराबबंदी कानून केवल आम जनता पर लागू है और अधिकारियों के लिए बेमानी?
प्रशासन का मौन, जिम्मेदार कौन?
जब इस मामले पर नवगछिया एसडीपीओ ओम प्रकाश से प्रतिक्रिया मांगी गई, तो उन्होंने कुछ भी कहने से इनकार कर दिया और सारा दारोमदार एसपी प्रेरणा पर डाल दिया. वहीं, जब एसपी से बात करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने ‘वीडियो कॉन्फ्रेंस’ का बहाना बनाकर संवाद से बचने का प्रयास किया. सवाल यह उठता है कि जब प्रशासन ही इस मामले में चुप्पी साधे बैठा है, तो न्याय की उम्मीद किससे की जाए?
बिहार सरकार ने शराबबंदी कानून को राज्य में अपराध कम करने और समाज सुधार के उद्देश्य से लागू किया था. लेकिन इस घटना से यह साबित होता है कि यह कानून केवल कागजों तक सीमित रह गया है. प्रशासन और पुलिस विभाग की नाक के नीचे इस तरह की गतिविधियां चल रही हैं, तो पूरे राज्य में क्या हाल होगा, इसकी कल्पना सहज ही की जा सकती है.
यह प्रकरण सरकार और प्रशासन के लिए गंभीर चिंता का विषय है. नवगछिया प्रशासन को इस मामले की निष्पक्ष जांच कर यह स्पष्ट करना चाहिए कि इन शराब की बोतलों का सेवन किन लोगों ने किया? क्या इस शराबबंदी कानून की धज्जियां उड़ाने वालों में वे अधिकारी भी शामिल हैं, जो इसे लागू कराने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं?
जनता को जवाब चाहिए, क्योंकि कानून सबके लिए समान होना चाहिए. अगर यह शराबबंदी केवल आम लोगों पर लागू है और अधिकारी खुद कानून तोड़ रहे हैं, तो बिहार में इस कानून का कोई औचित्य नहीं बचता. नवगछिया की यह घटना शराबबंदी की असलियत को सामने लाने के लिए काफी है और सरकार को इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए.
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