महाशिवरात्रि: अजगैवीनाथ मंदिर से भेजा गया बाबा बैद्यनाथ के लिए गंगाजल, जानिए शिव विवाह में इसका महत्व..

Mahashivratri 2024: महाशिवरात्रि पर शिव विवाह के लिए अजगैवीनाथ मंदिर से जल देवघर भेजा गया.

By ThakurShaktilochan Sandilya | March 7, 2024 10:48 AM
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डबलू, सुलतानगंज
बिहार के भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित बाबा अजगैवीनाथ मंदिर से बुधवार को संकल्प के साथ गंगा जल बाबा बैद्यनाथ मंदिर देवघर भेजा गया. महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथ के विवाह में मंदिर से भेजे गंगा जल से ही भोलेनाथ का अंतिम अभिषेक होता है. अजगैवीनाथ मंदिर के स्थानापति महंत प्रेमानंद गिरि ने संकल्प करके मंदिर के स्थायी पंडा युगल किशोर मिश्र के द्वारा गंगा जल देवघर भेजा. उसके बाद अजगैवीनाथ मंदिर में सरकारी पूजा सुबह में की गयी.

बाबा बैद्यनाथ के विवाह में अजगैवीनाथ मंदिर के गंगाजल का खास महत्व

महाशिवरात्रि पर बाबा बैद्यनाथ के विवाह में अजगैवीनाथ मंदिर के गंगाजल का खास महत्व है. स्थानापति ने बताया कि अजगैवीनाथ मंदिर से गंगा जल भेजने की परंपरा सदियों पुरानी है. पंडित युगल किशोर मिश्र ने बताया कि महाशिवरात्रि पर बाबा वैद्यनाथ के विवाह में अंतिम अभिषेक अजगैवीनाथ मंदिर के गंगा जल से होता है. यह परंपरा आज भी कायम है, उसके बाद ही विवाह की रस्म पूरी की जाती है.

बाबा का मंडप आज, बाबा अजगैवीनाथ मंदिर में तैयारी पूरी

बाबा अजगैवीनाथ मंदिर सहित प्रखंड के सभी शिव मंदिरों में महाशिवरात्रि को की तैयारी पूरी कर ली गयी है. बाबा अजगैवीनाथ मंदिर में विशेष तैयारी की गयी है. आकर्षक ढंग से साज-सज्जा किया गया है. बाबा अजगैवीनाथ का मंडप शुक्रवार को पूरे विधि-विधान के साथ होगा. स्थानापति ने बताया कि कई प्रकार के व्यंजन का भोग लगा खड्ष पूजा की जायेगी.

शिव बारात में उमड़ेगी भीड़

अजगैवीनाथ मंदिर पर श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की ओर से पूरी तैयारी की गयी हैं. शनिवार को बाबा की बरात निकलेगी. बरात के स्वागत को लेकर विशेष तैयारी की गयी है. महाशिवरात्रि को लेकर पूरे प्रखंड के शिव मंदिरों में तैयारी पूरी कर ली गयी हैं. गंगा स्नान करने वाले लोगों की भीड़ देखी जा रही है. कई कांवरिये गंगा जल लेकर बाबाधाम रवाना हुए.

महाशिवरात्रि पर बाबा का चार पहर होगा रूद्राभिषेक

महाशिवरात्रि पर शनिवार को बाबा का चार पहर रूद्राभिषेक होगा, जिसमें दूध, गन्ना का रस, दही, मधु,गंगाजल आदि से विधि-विधान पूर्वक पूजा-अर्चना की जायेगी. रात्रि में विवाह की रस्म शुरू होगी. रात्रि तीन बजे तक विवाह की रस्म संपन्न होने के बाद दो घंटे मंदिर का पट बंद हो जायेगा. सुबह पांच बजे सरकारी पूजा के बाद रविवार को आम भक्तों के लिए पूजा-अर्चना शुरू होगी.

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