प्रभात खबर लीगल काउंसलिंग में पाठकों ने वरीय अधिवक्ता कुमार रणबीर मिश्रा से ली कानूनी सलाहसंवाददाता, भागलपुरप्रभात खबर लीगल काउंसलिंग के तहत रविवार को पाठकों को कानूनी सलाह दी गयी. सलाह देने के लिए वरीय अधिवक्ता कुमार रणबीर मिश्रा मौजूद थे. पाठकों द्वारा किये गये कॉल में अधिकांश मामले सिविल डिस्प्यूट से जुड़े थे. वहीं कुछ मामले लेन-देन संबंधित और पुलिस की ज्यादती के भी थे.
: सहारा इंडिया में जमा किये गये 4-5 लाख रुपये में से दो साल पूर्व महज 10 हजार रुपये की किस्त ही मिली है. जमा अन्य पैसों को पाने के लिए क्या किया जाये?
जवाब
: सहारा इंडिया के संस्थापक सह निदेशक की मौत के बाद कंपनी को दिवालिया घोषित कर दिया गया था. उसके सारे एसेट आरबीआई ने जब्त कर ली थी. अब आरबीआइ के माध्यम से कंपनी में निवेश करने वाले लोगों को उनके पैसे दिलाये जा रहे हैं. जिन लोगों को पैसे मिलने में परेशानी हो रही है उन्हें उचित प्राधिकार के तहत आवेदन करना होगा. जिन जगहों पर सहारा इंडिया के कार्यालय थे वहां अब भी क्रियान्वित हैं. वहां भी आवेदन कर व अधिकारियों से मिल कर अपनी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है.
सवाल
जितेंद्र मिश्रा, शिवायडीह, सबौर
जवाब
सवाल
: कुछ दिन पूर्व कुछ पुलिसकर्मियों ने नो पार्किंग का नाम लेकर उन्हें और उनके पति को काफी परेशान किया था. यह कार्य पुलिस द्वारा तब किया गया जब वह खुद मरीज थी और उनका ऑपरेशन हुआ था. उनके पति ने तिलकामांझी स्थित अस्पताल से बैंडेज खरीदने के लिए कार रोकी थी. उस वक्त वह कार में मौजूद थे? क्या करना चाहिये?
जवाब
: अगर पुलिस पदाधिकारी या कर्मियों द्वारा बिना वजह परेशान किया गया है और मिथ्या आरोप लगाया गया है तो उसके विरुद्ध वरीय पदाधिकारियों से उचित साक्ष्य के साथ शिकायत करें. अगर वहां भी कोई कार्रवाई नहीं होती है तो इसको लेकर कोर्ट में कंप्लेन केस दायर कराया जा सकता है.
सवाल
निरंजन कुमार, बसंतपुर, लोदीपुर.
जवाब
सवाल
: पिता के नाम से एक खतियानी जमीन है जोकि काबिल लगान हो गया है. इसके लिए जब अंचल जाते हैं तो कर्मचारी 10 हजार रुपये की मांग करते हैं. ऐसे में क्या करें?
जवाब
: जमीन अगर काबिल लगान हो गया तो यह देखना जरूरी है कि कहीं सरकार ने वह जमीन तो नहीं ले ली. अगर सरकार द्वारा जमीन ली गयी तो इसको लेकर अंचलाधिकारी को आवेदन देकर काबिल लगान खत्म करने की मांग की जा सकती है. अगर कर्मचारी पैसों की मांग करते हैं तो इसका ठोस साक्ष्य लेकर वरीय पदाधिकारियों से इसकी शिकायत की जा सकती है.
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