भागलपुर में शुरू हुआ रंगीन मछलियों का उत्पादन, मिलने लगे झारखंड से ऑर्डर

Fish Production: बिहार सरकार अंतर्गत अलंकारी सह प्रजनन इकाई योजना के तहत रंगीन मछलियों के संवर्द्धन एवं प्रजनन के लिए जिले में पहली बार मत्स्य विभाग के सहयोग से यूनिट स्थापित की गयी.

By Ashish Jha | February 8, 2025 10:46 PM
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Fish Production: भागलपुर, दीपक राव. सिल्क सिटी भागलपुर के कहलगांव में दो स्थानों पर रंगीन मछलियों का उत्पादन शुरू हो गया है. उत्पादन शुरू होते ही पूर्वी बिहार के विभिन्न जिलों समेत झारखंड के गोड्डा व साहिबगंज से एडवांस ऑर्डर मिलने लगे. जिला मत्स्य विकास पदाधिकारी राजकुमार रजक ने बताया कि जिले में मत्स्य व्यापार अपना कर बेरोजगार युवाओं को स्वरोजगार करने का सुनहरा अवसर प्रदान करने की योजना चलायी जा रही है. बिहार सरकार अंतर्गत अलंकारी सह प्रजनन इकाई योजना के तहत रंगीन मछलियों के संवर्द्धन एवं प्रजनन के लिए जिले में पहली बार मत्स्य विभाग के सहयोग से यूनिट स्थापित की गयी.

10 लोगों को रोजगार मिलना शुरू

रंगीन मछली उत्पादक सह प्रगतिशील किसान विभू कुमार दुबे ने बताया कि कहलगांव के कैरिया में 50 डिस्मील जमीन में 20 प्रजनन इकाई तैयार की गयी है. इसी तरह पास ही में एक और प्रगतिशील किसान कैलाश रविदास व मुगल महलदार भी रंगीन मछलियों का पालन कर रहे हैं. अभी केवल मछलियों की ब्रिडिंग करायी जा रही है, ताकि अधिक से अधिक बीज तैयार किया जा सके. रंगीन मछलियों के पालन के लिए एक कारोबारी पांच-पांच लोगों को रोजगार दे रहे हैं. ऐसे में दो स्थानों पर 10 लोगों को रोजगार मिलने लगा है. पहले पूर्णिया से रंगीन मछली का जीरा मंगाया था और अब कोलकाता से मंगाकर यहां ही रंगीन मछली का जीरा तैयार कर रहे हैं. रंगीन मछली का पालन करने के लिए 12 लाख की लागत आयी है. एक स्थान पर 12 लाख रुपये की लागत से 50 डिसमिल जमीन में 20 इकाई तैयार किये गये हैं. रंगीन मछली उत्पादन की एक यूनिट स्थापित करने के लिए पांच सौ वर्गफुट भूमि होना जरूरी है. इसके तहत मत्स्य विभाग द्वारा लाभुकों को 40 से 60 प्रतिशत का अनुदान उपलब्ध कराया गया. लाभार्थियों को मुफ्त प्रशिक्षण देने का प्रावधान किया गया है.

रंगीन मछलियों के लिए 90 करोड़ का बाजार

विशेषज्ञों की मानें तो प्रदेश में रंगीन मछलियों का हर साल 80 से 90 करोड़ का बाजार है. लेकिन प्रदेश में इसका उत्पादन बहुत कम होने के कारण सारा पैसा बंगाल, चेन्नई और केरल चला जाता था. ऐसे में भागलपुर में रंगीन मछलियों का उत्पादन शुरू होने पर अधिक से अधिक मुनाफा कमाने व रोजगार की काफी संभावनाएं हैं. अब यहां के किसान मछलीपालन में नये प्रयोग कर सफलता हासिल कर रहे हैं. प्रगतिशील मत्स्य पालक विभू कुमार दुबे ने ने कहा कि वह दिन दूर नहीं जब भागलपुर रंगीन मछलियों के उत्पादन का हब बन जायेगा. पहले खाने वाली मछलियों के उत्पादन में भागलपुर का स्थान प्रदेश में बेहतर था और अब कम जगह और कम खर्च में रंगीन मछलियों का उत्पादन कर अच्छी कमाई की जा सकती है. ध्यान यह रखना है कि पहले इसकी ट्रेनिंग लेकर ही शुरुआत करें. इससे नुकसान होने का डर नहीं रहता है.

फिश एक्वेरियम के प्रति लोगों का बढ़ा है आकर्षण

बदलते परिवेश में लोग अपने घरों में फीस एक्वेरियम लगाने के प्रति आकर्षित हुए हैं. यही कारण है कि रंगीन मछलियां घरों को सजाने के साथ ही वास्तु शास्त्र से भी जुड़ गयी है. पूरी दुनिया में करीब छह सौ किस्मों की रंगीन मछलियां हैं. इनमें सौ तरह की रंगीन मछलियां अपने देश में मिलती है. विदेशी प्रजातियों की भी रंगीन मछलियां भारत में पैदा की जा रही हैं. भारत में वैज्ञानिक तरीके से सजावटी मछली पालन के के जरिये बड़े पैमाने पर लोगों को रोजगार दिलाया जा जा रहा है. देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र में सबसे अधिक रंगीन मछलियां पायी जाती हैं.

ऐसे शुरु कर सकते हैं रंगीन मछलियों का पालन शुरू

जिला मत्स्य पदाधिकारी कृष्ण कन्हैया ने बताया कि रंगीन मछलियों के पालन और व्यापार एक- डेढ़ लाख रुपए से शुरू किया जा सकता है. कुछ मुख्य प्रजातियों के मछली जीरा 100 रुपए से 500 प्रति पीस होता है. व्यावसायिक पालन के लिए मादा और नर मछलियों का चार एक के अनुपात को अच्छा माना जाता है. एक्वेरियम में जीरा डालने के बाद चार से छह माह बाद इन्हें बेचा जा सकता है.

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