बिहार एग्रीकल्चर रिसर्च चैलेंज के अंतिम चरण में राज्य भर के विश्वविद्यालयों से चयनित युवाओं ने अपनी अभिनव शोध परिकल्पनाएं प्रस्तुत की, जो कृषि क्षेत्र को नये आयाम देने की क्षमता रखती है. राज्य के विभिन्न विवि से प्राप्त प्रस्ताव में से 11 उत्कृष्ट छात्र शोधकर्ताओं का चयन किया गया. विशेषज्ञों की एक समिति के समक्ष अपने नवोन्मेषी विचार रखे. यहां प्रस्तुत शोध विषयों में कृषि आपूर्ति शृंखला में ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग, जलवायु लचीली फसल किस्म के लिए स्पीड ब्रीडिंग, अल्प प्रयुक्त एवं देसी सब्जियों का संवर्धन, जलवायु स्मार्ट कृषि पद्धतियों के विकास आदि को शामिल किया गया है. यह मंच छात्रों को उनके शोध-विचारों को व्यावहारिक और अनुप्रयोगात्मक नवाचारों में बदलने का अनूठा अवसर प्रदान कर रहा है. मूल्यांकन समिति में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्रीय अनुसंधान परिसर पटना के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भी मूल्यांकन में ऑनलाइन माध्यम से शामिल इस मूल्यांकन पैनल में डॉ विकास सरकार प्रधान वैज्ञानिक, वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पीके सुंदरम, वैज्ञानिक डॉ पवन जीत इन सभी विशेषज्ञों ने छात्रों की प्रस्तुति और उनके शोध प्रस्तावों पर मार्गदर्शन प्रदान किया. इसी क्रम में विश्वविद्यालय ने बिहार के चार नवोदित एग्री स्टार्टअप के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया. इस अवसर पर बीएयू के कुलपति डॉ डीआर सिंह ने कहा कि बीएयू एआरसी 2025 केवल एक प्रतियोगिता नहीं, बल्कि यह बौद्धिकता नवाचार और साहस का उत्सव है. हमारे युवा पीढ़ी पारंपरिक कृषि मॉडल को आधुनिक तकनीक और नवीन सोच से बदलने के लिए तैयार है. उड़ान देने के लिए एक लॉच पैड बनने की दिशा में अग्रसर है. हमारा लक्ष्य है कि विश्वविद्यालय को पूर्वोदय और आत्मनिर्भर भारत की कृषि नवाचार राजधानी बनाया जाये. अनुसंधान निदेशक एवं आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ एके सिंह ने कहा कि हम एक नए युग की शुरुआत देख रहे हैं, जिसमें छात्र शोध स्टार्टअप इंक्यूबेशन और धरातल पर कार्य निवारण के साथ चलेंगे. बीएयू सबौर एक ऐसा नवाचार इको सिस्टम बन रहा है, जहां हर उस विचार को बढ़ावा मिलेगा, जो किसानों की समस्याओं का समाधान दे सकता है. इस आयोजन का सफल समन्वय डॉ आदित्य सिंह एवं डॉ दीपक कुमार पटेल सहायक प्राध्यापक विस्तार शिक्षा विभाग बीएसी सबौर द्वारा किया गया.
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