Shravani Mela 2022: सुल्तानगंज कांवरिया पथ पर दुकानें अभी पूरी तरह तैयार नहीं, जानें क्या है विलंब की वजह

Shravani Mela 2022: श्रावणी मेला शुरू होने के ठीक पहले कांवरियों का चलना शुरू हो गया है. कांवरिया पथ पर दुकानें अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुई है. कई दुकानें अभी तैयार की जा रही है. मिट्टी भराई से लेकर बांस-बल्ले का काम जारी है.

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2022 2:40 PM
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श्रावणी मेला 2022 (Shravani Mela 2022) की शुरुआत में अब गिनती के कुछ दिन शेष बचे हैं. 14 जुलाई से पूर्णिमा के दिन से सावन मेले की रौनक दिखनी शुरू हो जाएगी. इस बार कोरोनाकाल के दो साल बाद श्रावणी मेला लग रहा है. कांवरिया पथ पर दुकान लगने का काम तेजी से चल रहा है. हालांकि सुल्तानगंज से कांवरिया पथ के शुरुआत से आगे के कुछ पड़ावों तक अभी तक इसकी पूरी तैयारी नहीं देखी जा रही है.

सावन माह में कांवरिया पथ की रौनक पिछले दो साल से फिकी ही रही. कोरोनाकाल में श्रावणी मेले पर रोक के कारण कांवरिया पथ विरान रहा. लेकिन इस साल 2022 में श्रावणी मेला को हरी झंडी दी गयी है. हालाकि कोरोना के मामले फिर एकबार सामने आने लगे हैं लेकिन कांवरियों का चलना शुरू हो गया है.

सावन शुरू होने में अब कुछ ही दिन शेष बचे हैं. दो दिनों बाद मेले की शुरुआत होने वाली है. पूर्णिमा को जल अर्पण करने वाले कांवरियों का चलना भी शुरू हो गया है लेकिन अभी भी कांवरिया पथ की दुकानें पूरी तरह हर जगह तैयार नहीं हो सकी है.

सुल्तानगंज से कांवरिया पथ के शुरू होते ही हर साल कांवरियों को कच्ची व पक्की कांवरिया पथ किनारे लगातार दुकानें लगी मिलती थी. इस बार जब सावन शुरू होने में केवल चंद दिन शेष रहे. अभी कांवरिया पथ शुरू होने के बाद से असरगंज तक के रास्ते में बेहद कम दुकानें पूरी तरह तैयार दिखीं. कई जगहों पर दुकानें तैयार की जा रही थी. इसे लेकर दुकानदार जोर-शोर से लगे हुए दिखे.

दुकानदारों ने कहा कि दो साल कोरोना संक्रमण ने मेला बंद कर व्यवसाय की रीढ़ तोड़ दी. इस बार बेहद डरे हुए हैं. कोरोना के मामले सामने आने लगे हैं. अधिकतर दुकानदारों को यह भय है कि ना जाने कब क्या फरमान जारी कर दिया जाए. अगर झारखंड या बिहार, दोनों में किसी भी एक सरकार ने कड़ा फैसला ले लिया तो सारा किया कराया बर्बाद हो जाएगा. कुछ दुकानदारों ने बताया कि वो दो लाख से की राशि जगह लेने और तैयार करने में लगा चुके हैं. कई दुकानदार अंतिम समय तक माहौल देखते रहे. इसलिए विलंब हुआ.

Published By: Thakur Shaktilochan

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