-बाजार में बांस का पंखा, डलिया, धूप-दीप, फल, चना, मुंगफली, लाल कलावा की हुई खूब खरीदारी
वट-सावित्री व्रत को लेकर सुहागिन महिलाओं में उत्साह चरम पर है. बाजार से घर तक तैयारी पूरी हो गयी है. सोमवार को होने वाले वट-सावित्री व्रत को लेकर बाजार में रविवार को छुट्टी के दिन भी डलिया, पंखा, शृंगार सामान की दुकानों पर व्रतियों की भीड़ उमड़ी. बाजार में बांस का पंखा, डलिया, धूप-दीप, फल, चना, मुंगफली, लाल कलावा, लाल वस्त्र से लेकर शृंगार के सामान चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, कुमकुम, हल्दी की खूब खरीदारी हुई. केवल फलों से 50 लाख के कारोबार का अनुमान है, तो डलिया व पंखा से 60 लाख का कारोबार एवं शृंगार, ब्यूटी पार्लर व पूजन सामग्री से 50 लाखा से अधिक का कारोबार की उम्मीद है. कुल मिलाकर छुट्टी के दिन रविवार को वट-सावित्री व्रत को लेकर बाजार में डेढ़ करोड़ से अधिक का कारोबार हुआ.फल कारोबारी मोहम्मद साहेब ने बताया कि सेब 200 से 220 रुपये किलो, नारंगी 120, केला 50 से 60 रुपये दर्जन, आम 60 से 90 रुपये किलो, लीची 200 से 300 रुपये सैकड़ा, खीरा 30 रुपये किलो, नारियल 40 से 60 रुपये पीस तक बिके. यहां से बांका, गोड्डा आदि क्षेत्र में भी फल की सप्लाई की गयी.
फुटपाथ पर बैठकर युवतियों व महिलाओं हाथ में रचवायी मेहंदी
वेराइटी चौक से लेकर शहर के अलग-अलग चौक-चौराहे तिलकामांझी, अलीगंज आदि पर मेहंदी रचाने वालों ने अपना स्टॉल सजाया था. यहां ज्यादातर महिलाएं 100 से 150 रुपये तक की मेहंदी से हाथ सजवा रहीं थीं. इसके अलावा शहर के विभिन्न हिस्सों में ब्यूटी पार्लर में सुहागिनों ने फेशियल व बाल आदि को व्यवस्थित कराया. ब्यूटी पार्लर संचालिका सारिका सिन्हा ने बताया कि एक-एक निम्न मध्यवर्गीय महिला ने 1000 रुपये तक अपने फेस को सजाने पर खर्च किया. वहीं ब्रांडेड कंपनी में 5000 रुपये तक खर्च की. बुलिया मनिहार ने बताया कि सामान्य दिनों से वट-सावित्री व्रत से एक दो दिन पहले लहठी व चूड़ी खरीदने के लिए पांच गुनी महिलाओं की भीड़ उमड़ी.
आज होगी ज्येष्ठ माह की अमावस्या पर वट सावित्री व्रत व सोमवती अमावस्या
वट वृक्ष का महत्व
पंडित विजयानंद शास्त्री ने कहा कि बरगद का पेड़, जिसे वट वृक्ष भी कहा जाता है, इस व्रत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. पुरानी कथाओं के अनुसार, सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कठोर तपस्या की थी. इसी कारण इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है. इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं. बिना इस कथा को सुने बगैर व्रत को पूरा नहीं माना जाता. इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं.
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