दरअसल, इसके पीछे लोजपा का जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव मैदान में उतरने और उनको कमजोर करने को लेकर राजनेताओं की बयानबाजी को सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है. चर्चा गरम है कि विधानसभा चुनाव के परिणाम बेहतर आने के बाद लोजपा और भाजपा दोनों दल बिहार में गठबंधन के तहत सरकार बना सकते है. जिसको लेकर जदयू खेमें में बेचैनी बढ़ गयी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जदयू के कुछ नेताओं का मानना है कि भाजपा राज्य में लोजपा के साथ मिलकर दोहरा खेल कर रही है.
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प्रमुख समाचार पत्र इंडियन एक्सप्रेस में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जदयू के कुछ नेता लोजपा के बिहार चुनाव से पहले इस नये सियासी रणनीति को लेकर भाजपा से पार्टी का रुख स्पष्ट करने की मांग कर रहे है. इसी कड़ी में यह मांग उठ रही है कि अगर लोजपा ने एनडीए से अलग होने का एलान कर दिया है तो फिर रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली हुई राज्यसभा की सीट लोजपा के लिए नहीं छोड़ी जानी चाहिए. इसके साथ ही चिराग पासवान की पार्टी को केंद्र के अलग कैबिनेट विस्तार में जगह भी नहीं दिया जाना चाहिए.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जदयू नेताओं ने भाजपा से सवाल पूछा है कि आखिर बिहार में एनडीए से अलग होकर चुनाव लड़ने का एलान करने वाले चिराग पासवान की पार्टी को राज्यसभा और केंद्रीय कैबिनेट में जगह कैसे दिया जा सकता है. वहीं, सूत्रों के मुताबिक, जदयू नेताओं ने चिराग पासवान को सबके सिखाने का मन भी बना लिया है और अगले लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ जदयू प्रत्याशी को उतारने का मूड बना लिया है.
उल्लेखनीय है कि लोजपा के बिहार में एनडीए से अलग होने के फैसले के बाद से ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की ओर से लगातार इस बात को दोहराया जा रहा है कि पीएम मोदी के नाम का इस्तेमाल एनडीए के प्रमुख घटक दल को छोड़ कोई अन्य नहीं कर सकता है. जिसको लेकर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला जारी है.
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