Bihar election 2020 : बिहार में अब तक थर्ड जेंडर नहीं बने हैं प्रत्याशी, जानें कब मिला वोट का अधिकार

राज्य में अब तक के विधानसभा चुनावों में एक भी किन्नर उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरा. वहीं किसी भी राजनीतिक दल ने भी इस वर्ग से प्रत्याशी की तलाश नहीं की. हालांकि, किन्नर वर्ग ने जब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, तो सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में इसे मान्यता दी.

By Prabhat Khabar News Desk | September 11, 2020 6:56 AM
feature

पटना : राज्य में अब तक के विधानसभा चुनावों में एक भी किन्नर उम्मीदवार चुनाव मैदान में नहीं उतरा. वहीं किसी भी राजनीतिक दल ने भी इस वर्ग से प्रत्याशी की तलाश नहीं की. हालांकि, किन्नर वर्ग ने जब अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ी, तो सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2014 में लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में इसे मान्यता दी.

2010 में जोड़ा गया था कॉलम, लेकिन वोट शून्य रहा

इसके बाद से ही 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से महिला और पुरुष के बाद तीसरा कॉलम थर्ड जेंडर के रूप में जोड़ा गया. जानकारों का कहना है कि 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में ही महिला और पुरुष के बाद अन्य के रूप में तीसरा कॉलम जोड़ा जा चुका था. हालांकि, उस साल चुनाव आयोग द्वारा जारी रिजल्ट में तीसरे कॉलम में मतदाताओं की संख्या शून्य दिखायी गयी है. वहीं, चुनाव प्रत्याशियों की भी संख्या शून्य है. जानकारों की मानें तो 2012 में ही चुनाव आयोग ने ट्रांसजेंडर के लिए अलग कॉलम का प्रावधान किया था. 2014 में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए मतदाताओं के रूप में थर्ड जेंडर की भी पहचान की गयी.

2015 के बिहार विस में मतदाता बने

चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में थर्ड जेंडर के रूप में कुल मतदाता 2116 थे. वहीं , पुरुष मतदाता तीन करोड़ 57 लाख 82 हजार 181 थे. महिला मतदाताओं की संख्या तीन करोड़ 12 लाख 72 हजार 523 थी. इस तरह कुल मतदाताओं की संख्या छह करोड़ 70 लाख 56 हजार 820 थी. मतदान करने वालों की कुल संख्या तीन करोड़ 79 लाख 93 हजार 173 थी. इस तरह करीब 56.66 फीसदी मतदान किया गया था. इसमें थर्ड जेंडर ने भी 33 वोट डाले थे.

अन्य राज्यों में चुनाव लड़ चुके हैं थर्ड जेंडर

1998 में मध्य प्रदेश के शहडोल जिले की सोहागपुर विस सीट से शबनम मौसी विधायक बनीं. 2004 में चित्तौड़गढ़ में ममता बाई निर्दलीय पार्षद बनीं. इनके काम से लोग खुश हुए. 2009 में वह बेगूं की नगरपालिका चेयरमैन बन गयीं. 2013 में एनपीपी के टिकट पर विधायक का चुनाव भी लड़ीं. 2005 में शबनम मौसी के नाम से बॉलीवुड में एक फिल्म भी बनायी गयी थी. 2015 में छत्तीसगढ़ के रायगढ़ में मधु किन्नर महापौर बनीं. 2003 में जेजेपी अर्थात जीती जिताई पार्टी नाम से किन्नरों का राजनीतिक दल बना.

posted by ashish jha

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version