राजगीर. विश्व मगही परिषद द्वारा अंतरराष्ट्रीय मगही चौपाल का 305 वां आयोजन किया गया. मगही कहानी-पाठ, समीक्षा और कवि सम्मेलन में साहित्यिक अभिव्यक्ति और संवाद किया गया. कार्यक्रम की अध्यक्षता विश्व मगही परिषद के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ लालमणि विक्रांत ने की, जबकि अथितियों का स्वागत और मंच संचालन परिषद के अंतरराष्ट्रीय महासचिव प्रो नागेंद्र नारायण ने किया. उन्होंने मगही भाषा के भविष्य, साहित्यिक सशक्तिकरण एवं युवाओं की भूमिका पर प्रकाश डाला. मुख्य अतिथि ‘मगही रत्न’ मिथिलेश मगधेश ने कहा कि मगही भाषा हमारी सांस्कृतिक आत्मा है. जब तक हम अपनी लोकभाषा, लोककथा और लोककविता से जुड़े रहेंगे, तब तक हमारी पहचान जीवित रहेगी. उन्होंने कहा कि विश्व मगही परिषद द्वारा आयोजित यह चौपाल हमारी भाषायी अस्मिता को सशक्त बनाता है. युवाओं की भागीदारी और उनकी साहित्यिक ऊर्जा इस आंदोलन को नयी दिशा दे रही है. मगही कहानी-पाठ खंड में कथाकार प्रो शिवेंद्र नारायण सिंह ने अपनी कहानी ””””बुधनी”””” द्वारा चरित्र निर्माण की महानता को आलोकित किया. उन्होंने समाज निर्माण के लिए इसे आवश्यक बताया. डॉ दिलीप कुमार ने कोरोना काल की भयावहता और वित्तरहित शिक्षकों की पीड़ा सुनायी. युवा लेखिका नीता सिंह पुतुल ने ””””गुलरी पाठशाला”””” नामक कहानी द्वारा समाज में दलित वर्ग की उपेक्षा और फिर दलितों में शिक्षा प्राप्त कर नयी जागृति की साहसिक चर्चा की. नयी दिल्ली की रंजना कुमारी ने कहानी ””””डेडलाइन”””” द्वारा समाज में बुजुर्गों के प्रति व्याप्त उदासीनता को उजागर किया गया. कवि सम्मेलन में कवियों ने मगही रचनाओं से समाज, संस्कृति, लोकजीवन, मौसम व संवेदनाओं को शब्दों में पिरोया. भावों की इस संगीतमय प्रस्तुतियों ने श्रोताओं को प्रभावित किया. प्रो डॉ नागेंद्र नारायण ने कहा कि इस तरह के आयोजन से मगही भाषा की साहित्यिक विरासत को संरक्षित करने तथा नयी पीढ़ी को जोड़ने का प्रयास सराहनीय है. कार्यक्रम में मगही साहित्यप्रेमी, लेखक, शिक्षक, शोधार्थी और विद्यार्थी शामिल हुए. ललित कुमार शर्मा, मगही रत्न जयप्रकाश, नीता सिंह पुतुल, डॉ राजेंद्र राज, दयानंद गुप्ता, डॉ वेंकटेश रमन, गीतकार नरेंद्र प्रसाद सिंह, डॉ शिवेंद्र नारायण सिंह, रंजना कुमारी, चुनचुन पांडेय, डॉ दिलीप कुमार, पूजा ऋतुराज, डॉ बालेंदु कुमार बमबम, अभिषेक राज एवं अन्य मगही प्रेमी शामिल हुए.
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