सिलाव. बिहार की ऐतिहासिक भूमि नालंदा एक बार फिर अपने हथकरघा शिल्प और बुनकरी परंपरा के कारण देशभर में गौरवान्वित हुई है. सिलाव प्रखंड के नेपुरा गांव निवासी कमलेश राम, जो पारंपरिक बावनबुटी शिल्क साड़ी के कुशल बुनकर हैं, इन्हें राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के द्वारा ‘नेशनल अवॉर्ड’ से सम्मानित किया जायेगा. यह सम्मान उन्हें सात अगस्त को ‘राष्ट्रीय बुनकर दिवस’ पर प्रदान किया जाएगा. अवार्ड की सूचना मिलते ही नेपुरा गांव में खुशी की लहर दौड़ गयी है. ग्रामीणों में उत्साह और गर्व का माहौल है. कमलेश राम ने बताया, यह पुरस्कार मेरे अकेले का नहीं, मेरे पूरे परिवार की कड़ी मेहनत का फल है. हम साधारण लोग हैं, लेकिन वर्षों से साड़ी बुनाई में रमे हैं. यह हमारी पहचान है. नेपुरा की बावनबुटी साड़ी की खासियत
निर्माण समय: एक साड़ी बनाने में 12 से 15 दिन
विशेषता: पारंपरिक बौद्ध कला, नालंदा की शैली और सूक्ष्म बुनाई
बाजार: मुंबई, दिल्ली, वाराणसी, कोलकाता, मद्रास, जयपुर सहित कई महानगरों में मांग
इन्होंने अमेरिका जर्मनी ऑस्ट्रेलिया का भी भ्रमण किया है
विदेशों तक पहुंची पहचान
कमलेश राम को भारत सरकार के विभिन्न अंतरराष्ट्रीय शिल्प मेलों में प्रतिनिधित्व करने का अवसर भी मिला है. उनके डिज़ाइनों की सराहना विदेशों में भी की जा चुकी है. कमलेश राम का पूरा परिवार इस पारंपरिक बुनकरी कला में संलग्न है. उनके घर में महिलाएं, पुरुष और युवा-सभी करघे पर बैठकर दिन-रात मेहनत करते हैं. यह अवॉर्ड उनकी सामूहिक साधना का प्रतीक है.
बुनकरों की भूमि नालंदा को दूसरा राष्ट्रीय पुरस्कार
कमलेश राम को मिला यह सम्मान सिर्फ एक व्यक्ति की उपलब्धि नहीं, बल्कि नालंदा की बुनकरी परंपरा की नई सुबह है. इससे जहां नेपुरा गांव को नई पहचान मिलेगी, वहीं युवाओं को भी हथकरघा शिल्प की ओर आकर्षित करने में मदद मिलेगी.
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