पंचायत सरकार भवन में खुलेगा अलग काउंटर
आगामी दिनों में प्रत्येक पंचायत सरकार भवन में प्रमाणपत्र बनवाने के लिए अलग से काउंटर खोले जाएंगे. यहां आवेदक अपना आवेदन जमा करेंगे, जिसका सत्यापन पंचायत सचिव के स्तर पर किया जाएगा. सत्यापन के बाद उसी काउंटर से प्रमाणपत्र निर्गत कर दिया जाएगा. अर्थ एवं सांख्यिकी निदेशालय की ओर से इस दिशा में पहल शुरू कर दी गई है और राज्य सरकार को अंतिम मंजूरी के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी है.
ग्रामीणों को होगी बड़ी सहूलियत
अब तक ग्रामीणों को जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाने के लिए प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी के पास जाना पड़ता था. वहां सीमित स्टाफ और एक ही काउंटर होने के कारण लंबी लाइनें लगती थीं और दलाल सक्रिय रहते थे. इन समस्याओं को देखते हुए निदेशालय ने पंचायत स्तर पर प्रमाणपत्र निर्गत करने का निर्णय लिया है. वर्तमान में राज्य में हर साल औसतन 30 लाख बच्चों के जन्म प्रमाणपत्र बनाए जाते हैं, जिनमें शहरी क्षेत्रों की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों की भागीदारी कम है.
ट्रायल के तौर पर चल रहा ग्राम विकास शिविर
इस योजना को लागू करने से पहले प्रदेश के सभी पंचायतों में ग्राम विकास शिविर लगाए जा रहे हैं, जहां उन बच्चों का प्रमाणपत्र बनाया जा रहा है जिनका अब तक जन्म प्रमाणपत्र नहीं बन पाया है. इसे एक अभियान के रूप में चलाया जा रहा है ताकि आधारभूत आंकड़ों को दुरुस्त किया जा सके.
प्रमाणपत्र निर्गत की नई व्यवस्था
- 30 दिन के भीतर आवेदन- पंचायत सचिव के स्तर से प्रमाणपत्र
- 1 माह से 1 साल के भीतर- प्रखंड सांख्यिकी पदाधिकारी की अनुशंसा पर
- 1 साल बाद के मामलों में- बीडीओ की अनुशंसा पर
शहरी क्षेत्रों में भी सुधार की मांग
शहरी क्षेत्रों में अब भी रजिस्ट्रार के स्तर पर प्रमाणपत्र बनते हैं, लेकिन यहां भी जनता को परेशानी होती है. इसलिए लोगों ने मांग की है कि शहरी क्षेत्रों में भी वार्ड स्तर पर ऐसी व्यवस्था लागू की जाए.
Also Read: Success Story: लोग कहते थे ‘देखो छक्का जा रहा है’, आज कह रहे हैं सैल्यूट मैडम…पढ़िए ट्रांसजेंडर दिव्या ओझा की कहानी