पटना: इंजीनियर बहाली में बढ़ी कटऑफ पर बवाल, कर्मचारियों ने दी आत्मदाह की चेतावनी
पटना: बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड में सहायक इंजीनियर से लेकर क्लर्क तक के पदों पदों पर बहाली के लिए हालिया संपन्न हुई आंतरिक भर्ती प्रक्रिया पर विवाद गहराता जा रहा है. तकनीकी संवर्ग के पदों के लिए परीक्षा देने वाले कर्मचारियों ने शुक्रवार को लामबंद होकर कटऑफ बढ़ाने पर तीखा विरोध दर्ज कराते हुए फैसला वापस लेने की मांग की.
By Anuj Kumar Sharma | July 4, 2025 9:33 PM
पटना, अनुज शर्मा: बिहार स्टेट पावर (होल्डिंग) कंपनी लिमिटेड में सहायक इंजीनियर से लेकर क्लर्क तक के पदों के लिए तकनीकी और गैर तकनीकी संवर्ग में लेवल 5 से लेवल 9 स्तर के 14 तरह के विभिन्न पदों पर बहाली के लिए हालिया संपन्न हुई आंतरिक भर्ती प्रक्रिया पर विवाद गहराता जा रहा है. तकनीकी संवर्ग के पदों के लिए परीक्षा देने वाले कर्मचारियों ने शुक्रवार को लामबंद होकर कटऑफ बढ़ाने पर तीखा विरोध दर्ज कराते हुए फैसला वापस लेने की मांग की. परीक्षा देने वाले कर्मचारियों के समर्थन में यूनियन भी उतर आई है. आरोप लगाया गया है कि प्रबंधन ने न सिर्फ पुराने नियमों की अनदेखी की, बल्कि बिहार सरकार के स्पष्ट निर्देशों को भी दरकिनार कर दिया है. इस मामले को लेकर कर्मियों ने प्रबंध निदेशक को सामूहिक पत्र भेजकर कहा है कि अगर न्यायोचित मूल्यांकन और पुरानी कटऑफ के आधार पर परीक्षाफल प्रकाशित नहीं किया गया, तो वे मुख्यालय में सामूहिक आत्महत्या को मजबूर होंगे. पत्र में इसे “हमारे जीवन की लीला समाप्त करने की अंतिम चेतावनी” बताया गया है.
कटऑफ को बढ़ाया गया
ऊर्जा भवन में एकत्र हुए कर्मचारियों ने बताया कि वर्ष 2022 में जारी रोजगार सूचना संख्या-03/2022 (आंतरिक) के तहत पहले परीक्षा ली गई थी. दोनों संवर्ग के लिए कटऑफ का मानक समान था. लेकिन कंपनी ने उस परीक्षा को अपरिहार्य कारण बताते हुए रद्द कर दिया. इसके बाद सूचना संख्या-06/2024 जारी हुई, जिसमें गैर तकनीकी संवर्ग के लिए तो कटऑफ को यथावत रखा गया, लेकिन तकनीकी संवर्ग में पुराने नियमों को बदलते हुए कटऑफ को बढ़ा दिया गया. कर्मियों का यह भी आरोप है कि बिहार सरकार के कार्मिक एवं प्रशासनिक सुधार विभाग के संकल्प (ज्ञापांक-2374, दिनांक 16.07.2007) में स्पष्ट प्रावधान है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम अर्हतांक 40%, पिछड़ा वर्ग के लिए 36.5%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए 34% और एससी/एसटी व महिलाओं के लिए 32% निर्धारित है.
तकनीकी कर्मियों को बाहर करने की साजिश
प्रभावित कर्मियों और यूनियनों का आरोप है कि कटऑफ बढ़ाकर जानबूझकर निचले स्तर के तकनीकी कर्मचारियों को चयन प्रक्रिया से बाहर करने की साजिश रची जा रही है. कर्मचारियों का तर्क है कि जब पूर्व की आंतरिक नियुक्तियों और गैर-तकनीकी संवर्ग में जनरल के लिए न्यूनतम अर्हतांक 40% है, तो तकनीकी कर्मचारियों के लिए ही 60% का प्रावधान कैसे और क्यों लागू किया गया? बिहार स्टेट इलेक्ट्रिकसिटी एंपलाइज एसोसिएशन के महामंत्री संजीव कुमार शर्मा ने भी इस संबंध में सीएमडी को पत्र लिखकर एसोसिएशन की तरफ से विरोध प्रकट किया है.
मूल्यांकन प्रणाली में भी नियमों का उल्लंघन?, नहीं मिले सीएमडी
कर्मचारियों ने आरोप लगाया है कि प्रश्न अत्यंत कठिन और सिद्धांत आधारित (थ्योरी) थे, जबकि कंपनी की निदेशक मंडल की बैठक में स्पष्ट किया गया था कि केवल व्यावहारिक प्रश्न पूछे जाएंगे. बीएसपीएचसीएल के अधिकारी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं. शुक्रवार को दोपहर करीब एक बजे कर्मचारी लामबंद हुए तो उनके पास संदेश आया कि सीएमडी प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे. पांच लोग पर्ची बनाकर दे दें. पर्ची ले जाने के बाद वही पदाधिकारी आये और बोले कि केवल दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल से मिलेंगे. करीब 40 मिनट तक सीएमडी के विजिटर कक्ष में इंतजार कराने के बाद एक महिला और एक पुरुष कर्मचारी वाले इस दो सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को सीएमडी के कक्ष तक ले जाया गया, लेकिन बाद में उनसे ज्ञापन लेकर वापस लौटा दिया गया. उनको बताया गया कि सीएमडी फिर किसी दिन मिलेंगे.