वर्ष 2023 से जेल में बंद है अपहर्ता
न्यायालय ने अभियुक्त के खिलाफ 08 अप्रैल 2010 को धारा 364ए/34 भादवि के अंतर्गत अपराध का संज्ञान लिया. राजेंद्र चौधरी के उपस्थिति के पश्चात कोर्ट ने 12 मार्च 2024 को अभियुक्त के विरुद्ध धारा 364ए/34 भादवि के अंतर्गत आरोप का गठन कर हिंदी में पढ़कर सुनाया एवं समझाया गया, जिससे अभियुक्त ने इनकार किया और विचारण का दावा किया. न्यायालय द्वारा 30 जून 2025 को अभियुक्त का बयान धारा 313 दंप्रसं के अंतर्गत दर्ज किया गया है, जिसमें अभियुक्त ने घटना करने से इनकार किया तथा स्वयं को निर्दोष बताया.
कोर्ट में चार साक्षियों की बयान में मिला पुख्ता साक्ष्य
परशुराम यादव, कृष्णानंद झा, रत्नाकर मिश्रा व कुमारी रंजु देवी ने अपने बयान में पुख्ता साक्ष्य कोर्ट को दिया. बचाव पक्ष की ओर से एक मौखिक साक्षी को प्रस्तुत किया गया एवं दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है.
अधिवक्ता को घर का दरवाजा तोड़ कर हुआ था अपहरण
रंजू देवी का कहना है कि 23 अक्तूबर 2008 की रात्रि में वह अपने पति रत्नाकर मिश्रा के साथ थीं. उनके बच्चे ननिहाल मोतिहारी में रहते हैं. रात्रि करीब 10.30 बजे अचानक 4-5 अज्ञात अपराधी आये और उनके घर का दरवाजा तोड़कर घर में से उनके पति को पकड़कर अपने साथ ले गये. अपराधी सभी पैंट-शर्ट पहने हुए थे तथा सभी हथियार से लैस थे. अपराधियों के चले जाने के बाद अपने जेठ नवल किशोर मिश्रा को बताई. फिर गांव के लोगों को बुलाकर लाये. रात्रि हो जाने के कारण थाने में सूचना नहीं दे सकी. अज्ञात अपराधी उनके पति रत्नाकर मिश्रा को फिरौती के लिए अपहरण कर ले गये हैं.
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