सारण जिला के दिघवारा थाना क्षेत्र के आमी के अंबिका भवानी मंदिर के निकट गंगा घाट पर मंगलवार को घड़ियाल मिलने से हडकंप मच गया. उसे देखने के लिए घाट पर सैकड़ों लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गयी. वहीं इस घड़ियाल के हमले में दो युवक घायल भी हो गया. बाद में कड़ी मशक्कत के बाद घड़ियाल को पकड़ कर स्थानीय लोगों ने उसे वन विभाग को सौंप दिया.
मछली पकड़ने के दौरान फंसा घड़ियाल
मिली जानकारी के मुताबिक सारण जिले के आमी स्थित प्रसिद्ध शक्तिपीठ अंबिका भवानी मंदिर के समीप गंगा नदी में लगभग दस मछुआरे मछली पकड़ने का काम कर रहे थे. इसी क्रम में उनके जाल में तकरीबन 10 फुट से अधिक लंबाई का एक घड़ियाल फंस गया. मछुआरे कुछ समझ पाते इससे पहले घड़ियाल ने मछुआरों पर हमला बोल दिया.
ग्रामीणों ने वन विभाग को सौंप दिया घड़ियाल
घड़ियाल द्वारा किए गए इस हमले में दिघवारा के नकटी देवी रोड निवासी शिवन महतो व इंदल महतो नामक दो मछुआरा घायल हो गए. लेकिन इस दौरान वहां मौजूद अन्य मछुआरों ने बिना घबराए हिम्मत से काम लिया और जाल में फंसे घड़ियाल को खींचकर घाट के किनारे पर लाया गया. बाद में रस्सी से बंधे घड़ियाल को वन विभाग को सौंप दिया गया.
पटना की मेडिकल टीम करेगी घड़ियाल की जांच
वन प्रमंडल पदाधिकारी रामसुंदर एम के नेतृत्व में दिघवारा के वनरक्षी मनीषा कुमारी, दरियापुर के वनरक्षी शिवेंद्र शेखर, वनपाल भीम कुमार ने गंगा घाट पर पहुंचकर घड़ियाल को अपने कब्जे में लिया. दिघवारा की वनरक्षी मनीषा कुमारी ने बताया कि आमी में गंगा नदी से जो घड़ियाल मिला है उसे अभी सोनपुर भेजा जा रहा है. पटना से मेडिकल टीम सोनपुर पहुंचकर घड़ियाल के स्वास्थ्य की जांच करेगी फिर उसे गंडक नदी में वापस छोड़ दिया जाएगा.
लोगों में दहशत
बता दें कि शक्तिपीठ स्थल मां अंबिका भवानी मंदिर आमी में शारदीय नवरात्र भर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ रहा है और राज्य के विभिन्न हिस्सों से मां के भक्त मां अंबिका के दर्शन करने के लिए उनके दरबार पहुंच रहे हैं और अपनी मुरादों के पूरा होने की कामना कर रहे हैं. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग गंगा नदी में स्नान करने भी आते हैं. ऐसे में मंदिर के समीप घड़ियाल निकलने की खबर मिलने के बाद से लोगों में दहशत है.
नवरात्रि में यहां उमड़ती है भक्तों की भीड़
मां अंबिका भवानी मंदिर में मां पिंडी रूप में विराजमान है. राजा दक्ष कालीन इस मंदिर में मिट्टी की पिंडी के रूप में मां की आराधना होती है, लिहाजा इस पर जल अर्पण की मनाही है. ऐसी मान्यता है कि जिन श्रद्धालुओं की मन्नत पूर्ण होती है, उन लोगों को एक बार फिर मां के दरबार में पहुंचकर चुनरी चढ़ाते हुए मां के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करनी होती है. कहते हैं कि इस दरबार में मांगी हर मुराद पूरी होती है, लिहाजा मंदिर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में दिन प्रतिदिन वृद्धि होते जा रही है.
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