Darbhanga News: जाले. कृषि विज्ञान केंद्र में ग्रामीण युवाओं के लिए मिथिला पेंटिंग विषयक पांच दिवसीय प्रशिक्षण मंगलवार को आरंभ हुआ. प्रशिक्षण की संचालिका गृह वैज्ञानिक पूजा कुमारी ने बताया कि इसमें जाले, जोगियारा, रतनपुर, सनहपुर, पकटोला, रेवढ़ा तथा कमतौल के 25 युवक व युवती शामिल हो रहे हैं. यह मिथिला लोक कला की एक पारंपरिक व जटिल शैली है, जो मिथिला क्षेत्र से उत्पन्न हुई है. इस कला की विशेषता इसके जीवंत रंग, ज्यामितीय पैटर्न और प्राकृतिक रंगों का उपयोग है. मधुबनी पेंटिंग अक्सर हिंदू पौराणिक कथाओं, प्रकृति और दैनिक जीवन के दृश्यों को दर्शाती हैं. वे आम तौर पर मिथिला क्षेत्र की महिलाओं द्वारा बनायी जाती हैं और पीढ़ियों से चली आ रही हैं. प्रशिक्षण के दौरान पहले दिन प्रशिक्षुओं को को बॉर्डर का डिजाइन बनाना सिखाया गया. आने वाले दिनों में अलग-अलग पैटर्न से विभिन्न प्रकार के मोटिफ जैसे मछली, फूल, सूर्य, पेड़-पौधे आदि बनाना सिखाया जायेगा. पूजा कुमारी ने बताया कि मिथिला पेंटिंग में मुख्य रूप से भरनी, कचनी, कुचनी से चित्रों में रंग भरा जाता है. इनमें चटक रंगों का उपयोग किया जाता है. इसे आने वाले दिनों में सिखाया जाएगा. वहीं केंद्र के अध्यक्ष डॉ दिव्यांशु शेखर ने बताया कि मिथिला पेंटिंग मिथिलांचल क्षेत्र की धरोहर है. इसे बरकरार रखना यहां के युवाओं की जिम्मेदारी है. मौके पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉ प्रदीप कुमार विश्वकर्मा, निधि कुमारी तथा अन्य कर्मचारी उपस्थित थे.
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