Darbhanga News: दरभंगा. लनामिवि के पीजी संगीत एवं नाट्य विभाग की में ””””विश्व संगीत दिवस समारोह सप्ताह”””” पर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंंगलवार को ””””संगीत शास्त्र और बंदिश गायन”””” विषय पर व्याख्यान सह शिक्षण कार्यक्रम हुआ. विषय विशेषज्ञ सह पटना विश्वविद्यालय के संगीत विभाग के पूर्व अध्यक्ष डाॅ अरविंद कुमार ने संगीत-शास्त्र को रेखांकित किया. वेद और वैदिक संगीत द्वारा विकसित संगीत की चर्चा की. कहा कि भरत प्रणीत ग्रंथ ””””नाट्यशास्त्र”””” में जाति-गायन अपने लक्षणों के साथ स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है. इसमें राग का स्वरूप ग्राम-राग के रूप में विद्यमान है. मतंग कृत ””””वृहद्देशी”””” में जाति-गायन एवं राग-प्रणाली अपने शास्त्रीय रूप को लेकर उपस्थित है. कहा कि शारंगदेव ने अपने ग्रंथ ””””संगीत रत्नाकार”””” में दस विध राग-वर्गीकरण के अंतर्गत 264 रागों को वर्गीकृत किया है. इन रागों का परिचय लक्षणों के साथ दिया गया है, जिसे परवर्ती विद्वानों ने भी अपनाया. आधुनिक काल के विद्वान पंडित विष्णु नारायण भातखंडे ने प्रचलित रागों को मानकीकृत किया, जिससे रागों के सम्पूर्ण स्वरूप में एकरूपता है. पंडित विष्णु दिगंबर पलुस्कर ने दरबारी स्वरूप वाले बंदिशों में संशोधन किया, ताकि सुसंस्कृत समाज में बंदिशों को समान रूप से अपनाया जा सके. संगीत-शास्त्र-संबंधी व्याख्यान के बाद विशेषज्ञ ने राग भूपेश्वरी में छोटा ख्याल, मध्यलय की बंदिश (झपताल) का अभ्यास कराया. विशिष्ट अतिथि राम सकल सिंह, डाॅ त्रिविक्रम नारायण सिंह ने भी विचार रखा. अतिथियों का स्वागत विभागाध्यक्ष प्रो. लावण्य कीर्ति सिंह ””””काव्या”””” ने किया.
संबंधित खबर
और खबरें