Darbhanga News: मनीगाछी. उजान धर्मपुर में भागवत कथा के पांचवे दिन कथावाचक आचार्य नटवर नारायण ने भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव का वर्णन किया. कहा कि जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण का पृथ्वी पर अवतार हुआ, प्रकृति सभी विधाओं से उनके स्वागत में खड़ा हो गया. आकाश में बादल छा गये, खुलकर वर्षा हुई. देवलोक में जन्मोत्सव मनाया गया. गोकुल, वृन्दावन, मथुरा, द्वारिका के लोगों ने गाजे-बाजे के साथ जन्मोत्सव मनाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी और आसुरी कंस देखता रह गया. उन्होंने कहा कि यमुना में शेषनाग ने भी भगवान कृष्ण को बारिश बचाने के लिए फन फैलाये वासुदेव के लिए छतरी का काम किया. उन्होंने जगत जननी मां सीता की इस भूमि पर भगवान श्रीराम का विश्वामित्र के साथ राजा जनक के दरबार में आगमन, स्वंयवर का बहाना व भगवान शिव के दिए धनुष को तोड़ देने का एक मात्र बहाना बताते हुए कहा कि भगवान की ही यह पूर्व नियोजित लीला थी. इसे समझ पाना कठिन था. वहीं राज्याभिषेक के दिन ही माता केकैयी के वचन निभाने जंगल को प्रस्थान यह भी रावण जैसे राक्षसों के संहार के लिए ईश्वर रचित लीला थी. कथा के बीच भगवान श्रीकृष्ण का जन्म और वासुदेव द्वारा टोकरी में रखकर नदी पार करने की झांकी देख श्रद्धालु झूम उठे. साथ ही माता सीता और पुरुषोत्तम राम के विवाह प्रसंग की प्रस्तुति पर मुग्ध हो उठे.
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