बिहार सरकार ने बनाए तीन आयोग, सवर्ण आयोग के अध्यक्ष बने पूर्व MLC महाचंद्र प्रसाद सिंह

Bihar News: बिहार सरकार ने आदिवासी, स्वर्ण जातियों और अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा और उनके विकास के लिए तीन अलग-अलग राज्य आयोगों का गठन किया है. इन आयोगों का उद्देश्य इन वर्गों की समस्याएं समझकर उन्हें सरकार तक पहुंचाना और उनके कल्याण के लिए ठोस सुझाव देना है.

By Abhinandan Pandey | May 30, 2025 5:40 PM
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Bihar News: बिहार सरकार ने समाज के विभिन्न वर्गों के अधिकारों की रक्षा और उनके समग्र विकास को लेकर एक महत्वपूर्ण पहल की है. राज्य सरकार ने अनुसूचित जनजाति, स्वर्ण जातियों और अल्पसंख्यक समुदायों के लिए अलग-अलग राज्य आयोगों का गठन किया है. इन आयोगों का मुख्य उद्देश्य इन समुदायों की समस्याओं को समझना, उनके अधिकारों की रक्षा करना और सरकार को ठोस सुझाव देकर उनके कल्याण की दिशा में काम करना है.

सरकार द्वारा गठित इन आयोगों में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति कर दी गई है. सभी सदस्यों का कार्यकाल पदभार ग्रहण करने की तिथि से तीन वर्षों तक रहेगा.

अनुसूचित जनजाति आयोग

  • इस आयोग में कुल 5 सदस्य नियुक्त किए गए हैं.

शैलेंद्र कुमार- अध्यक्ष

सुरेंद्र उरांव- उपाध्यक्ष

प्रेमशिला गुप्ता, तल्लू बासकी और राजू कुमार- सदस्य

स्वर्ण आयोग

  • स्वर्ण जातियों के हितों की रक्षा के लिए गठित आयोग में भी 5 सदस्य शामिल हैं.

महाचंद्र प्रसाद सिंह- अध्यक्ष

राजीव रंजन प्रसाद- उपाध्यक्ष

दयानंद राय, जय कृष्ण झा और राजकुमार सिंह- सदस्य

अल्पसंख्यक आयोग

  • अल्पसंख्यकों के लिए गठित आयोग में कुल 11 सदस्य बनाए गए हैं, जिनमें अध्यक्ष और दो उपाध्यक्ष शामिल हैं.

गुलाम रसूल बलियावी- अध्यक्ष

लखबिंदर सिंह और मौलाना उमर नूरानी- उपाध्यक्ष

मुकेश कुमार जैन, अफरोजा खातून, अशरफ अली अंसारी, मो. शमशाद आलम (शमशाद साईं), तुफैल अहमद खान कादरी, शिशिर कुमार दास, राजेश कुमार जैन और अजफर शामशी, ये सभी सदस्य हैं.

आयोगों की जिम्मेदारी क्या होगी?

इन तीनों आयोगों का काम होगा कि ये संबंधित वर्गों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का मूल्यांकन करें, सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की निगरानी करें, और अगर कहीं कोई समस्या या अनियमितता दिखे तो उसे सरकार के समक्ष रखें.

इसके जरिए सरकार इन समुदायों की जरूरतों को बेहतर तरीके से समझ सकेगी और उनकी बेहतरी के लिए नीति निर्धारण कर सकेगी. आयोगों की यह पहल सामाजिक न्याय और समावेशी विकास की दिशा में राज्य सरकार का एक बड़ा कदम माना जा रहा है.

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