कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र शुरू, मां मंगला गौरी मंदिर में 25000 श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

मंगलवार को कलश स्थापना के साथ चैत्र नवरात्र का पर्व शुरू हो गया है. इस दौरान मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी. सिर्फ गया के मां मंगला गौरी मंदिर में भी 25000 से अधिक लोगों ने मां के दर्शन किए

By Anand Shekhar | April 9, 2024 7:57 PM
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गया. चैत्र नवरात्र मंगलवार को कलश स्थापना के साथ शुरू हुआ. श्रद्धालु अपने घरों के नजदीकी तालाबों से कलश में जल भरकर घरों में स्थापित किया. इसके बाद ब्राह्मण के निर्देशन में श्रद्धालुओं ने कलश पूजन कर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ भी शुरू किया है. कलश स्थापना को लेकर जलभरी के लिए पिता महेश्वर तालाब, रुक्मिणी तालाब, सूर्यकुंड समेत शहर के अन्य तालाबों पर ब्रह्म मुहूर्त से ही श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया था. इन तालाबों पर सुबह 10:00 बजे तक कलश में जलभरी को लेकर श्रद्धालुओं की आवाजाही होती रही. श्रद्धालुओं ने कलश में जल भरकर पूजा-अर्चना की. इसके बाद कलश आस्था के साथ अपने माथे पर रखकर घर पहुंचे व स्थापित की.

मां मंगला गौरी मंदिर में 25000 श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

इधर, नवरात्र की पहली तिथि को मां मंगला गौरी मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला सुबह करीब तीन बजे से ही शुरू हो गया था, जो देर रात तक जारी रहा. मंदिर प्रबंधन समिति के अध्यक्ष शंकर प्रसाद की मानें, तो चैती नवरात्र की प्रतिपदा तिथि यानी मंगलवार को मां मंगला गौरी मंदिर में 25 हजार से भी अधिक माता के भक्तों ने मां की पूजा-अर्चना व उपासना कर अपने व परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की.

शहर के अलग-अलग क्षेत्र में स्थित मां बगला स्थान मंदिर, वागेश्वरी मंदिर, मां शीतला मंदिर, मां दु:खहरणी मंदिर समेत शहर के अन्य सभी देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना के निमित्त पूरे दिन श्रद्धालुओं की आवाजाही होती रही. सूर्योदय के साथ श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जो शुरू हुआ, देर रात तक जारी रहा.

मां मंगला गौरी मंदिर में ब्रह्म मुहूर्त में कलश स्थापित

मां मंगला गौरी मंदिर प्रबंधन समिति के सचिव अमरनाथ गिरि ने बताया कि यहां गर्भगृह में ब्रह्म मुहूर्त में कलश स्थापना हुई. पूजा-अर्चना के निमित्त काफी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे. श्रद्धालुओं को पूजा अर्चना में असुविधा नहीं हो, इसके लिए समिति की ओर से उन्हें कतारबद्ध कराकर माता का दर्शन कराया गया. उन्होंने बताया कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए मंदिर परिसर में पानी के साथ अन्य सभी व जरूरी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध करायी गयी हैं. रोशनी के लिए पर्याप्त मात्रा में बल्ब लगाया गया है. नवरात्र को लेकर पूरे मंदिर परिसर को फूलों से सजाया गया है. श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे श्रद्धालुओं के पास भी समुचित रोशनी की व्यवस्था समिति की ओर से उपलब्ध करायी गयी है.

चैत्र नवरात्र पर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू

चैत्र नवरात्र के पहले दिन मंगलवार को मां मंगला गौरी मंदिर, मां बगला स्थान मंदिर मां शीतला मंदिर समेत शहर के कई अन्य देवी मंदिरों के प्रांगण में बैठकर कई श्रद्धालुओं ने माता की पूजा-अर्चना कर श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू किया है. मां मंगला गौरी मंदिर में श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ कर रहे श्रद्धालुओं के बीच समिति की ओर से प्रसाद का वितरण किया गया है.

कलश यात्रा के साथ नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ शुरू

गया नगर निगम क्षेत्र के कलेर में राधा कृष्ण, माता दुर्गा मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर 1008 नौ दिवसीय शतचंडी महायज्ञ मंगलवार को कलशयात्रा के साथ शुरू हुआ. कलशयात्रा में बैंड बाजे के साथ हजारों की संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु शामिल हुए. कलशयात्रा कलेर से निकल कर शहर भ्रमण करते रुक्मिणी तालाब पहुंची, जहां कलश में जलभरी कर वापस यज्ञ स्थल श्रद्धालु पहुंचे.

आयोजन समिति के सदस्य विष्णु कुमार सिन्हा ने बताया कि यज्ञ का भंडारा 16 अप्रैल को होगा, जबकि 17 अप्रैल को इसकी पूर्णाहुति होगी. नौ दिवसीय महायज्ञ यज्ञाचार्य रामबालक पांडेय के साथ ग्यारह विद्वान ब्राह्मणों के निर्देशन में संपन्न होगा. उन्होंने बताया कि प्रतिदिन शाम में प्रवचन व सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन हो रहा है. इस कार्यक्रम को सफल बनाने में संयोजक अजय कुमार सिंह, विश्वजीत सिंह, विनय सिंह, रंजीत सिंह, रवि सिंह, सुबोध सिंह, कामता सिंह वह अन्य समर्पित भाव से लगे हैं.


देवी मंदिरों में पूजा के लिए रही भीड़

इमामगंज प्रखंड क्षेत्र में चैत्र नवरात्रि को लेकर देवी मंदिरों में कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि पर्व पर देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व प्रारंभ हुआ. सुबह से ही श्रद्धालु देवी मंदिरों में पूजा-अर्चना करते दिखाई दिये. इसी कड़ी में रानीगंज तेतरिया देवी मंदिर के प्रांगण से श्रद्धालुओं ने भव्य कलश यात्रा निकली, जो मुख्य बाजार होते उदासीन मठ के नजदीक तालाब से अपने-अपने कलश में जल भरकर पुनः कलश को मंदिर परिसर में स्थापित किया. वहां नौ दिनों तक विशेष पूजा-अर्चना आयोजित की गयी है. इसके अलावा क्षेत्र के कई देवी मंदिरों में चैत्र नवरात्रि को लेकर विधि-विधान से पूजा आयोजित की गयी है.

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