
गया. सीयूएसबी के स्कूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस (एसएलजी) में बहुप्रतीक्षित डिबेटिंग प्रीमियर लीग ऑक्शन का यूनिवर्सिटी के विवेकानंद लेक्चर हॉल ऑडिटोरियम में भव्यता के साथ शुरुआत हुआ. कुलपति प्रो कामेश्वर नाथ सिंह के संरक्षण में हाई-वोल्टेज इंट्रा डिबेट प्रतियोगिता का आयोजन 25 से 27 फरवरी के बीच किया जायेगा. पीआरओ मोहम्मद मुदस्सीर आलम ने बताया कि इस कार्यक्रम की आधिकारिक शुरुआत स्कूल ऑफ लॉ एंड गवर्नेंस (एसएलजी) के विभागाध्यक्ष और डीन प्रो अशोक कुमार के नेतृत्व में रिबन-कटिंग समारोह से हुई. उद्घाटन सत्र में दर्शकों को डीपीएल के बारे में जानकारी दी गयी और नीलामी के लिए माहौल तैयार किया गया. ब्रीफिंग में नीलामी के नियमों का अवलोकन भी शामिल था, जिससे एक सहज और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया सुनिश्चित हुई. संकाय समन्वयक डॉ पल्लवी सिंह ने अपने प्रेरक शब्दों और वाद-विवाद के महत्व पर व्यावहारिक विचारों के साथ सम्मानित अतिथियों का स्वागत किया. प्रो अशोक कुमार ने प्रतिभागियों को स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और बौद्धिक कठोरता की भावना को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया. उनके शब्दों ने एक रोमांचक कार्यक्रम के लिए मंच तैयार किया और हथौड़े की जोरदार चोट के साथ उन्होंने आधिकारिक तौर पर नीलामी शुरू होने की घोषणा की. बोली लगाने की बारी निर्धारित करने के लिए एक जार से छड़ियां निकाली गयी, जिससे कार्यवाही में एक अप्रत्याशित मोड़ आया. प्रो अशोक कुमार ने पहला ड्रा शुरू किया. बोली लगाने की होड़ के बीच एसएलजी की संकाय डॉ कुमारी नीतू ने इस अवसर को सम्मानित करने के लिए कार्यक्रम में शामिल होकर कार्यवाही में और अधिक प्रतिष्ठा जोड़ी. नीलामी में कुल 72 वाद-विवादकर्ता शामिल थे, जो 24 टीम मालिकों में से एक में जगह पाने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रहे थे. यह आयोजन दो रोमांचक चरणों में हुआ. पहला प्रोफेशनल और एमेच्योर राउंड, जिसमें अनुभवी डिबेटर्स ने अपनी योग्यता का प्रदर्शन किया. इससे टीम मालिकों के बीच प्रतिस्पर्धी बोली लगी. दूसरा था बिगिनर्स राउंड, जो उभरते हुए डिबेटर्स के लिए अपनी जगह सुरक्षित करने और ग्रैंड टूर्नामेंट में अपनी योग्यता साबित करने का एक मंच था. अंत में जब आखिरी बार हथौड़ा गिरा तो हर टीम ने सफलतापूर्वक तीन डिबेटर्स हासिल किए. अब अंतिम मुकाबला 25 से 27 फरवरी को डिबेटिंग ग्लैडिएटर्स केंद्र में होंगे.
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