मानपुर. जगजीवन महाविद्यालय में रविवार को बाबू जगजीवन राम की 39वीं पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गयी. महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो (डॉ) सत्येंद्र प्रजापति ने इस अवसर पर कहा कि बाबू जगजीवन राम एक महान समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी एवं राजनेता थे, जिन्होंने आजादी के पहले और बाद में समाज के शोषित, दलित और वंचित वर्गों के उत्थान के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. उन्होंने छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ उल्लेखनीय कार्य किये. बाबूजी का मानना था कि इंसान-इंसान के बीच कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए और सभी को बराबरी का अधिकार मिलना चाहिए. उन्होंने सिर्फ सामाजिक भेदभाव को खत्म करने की दिशा में ही काम नहीं किया, बल्कि कृषि मंत्री रहते हुए देश में हरित क्रांति को भी आगे बढ़ाया, जिससे भारत अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर बन सका. जाति जन्म से नहीं, कर्म से होती है : डॉ प्रदीप कार्यक्रम की अध्यक्षता हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ प्रदीप कुमार ने की. उन्होंने कहा कि बाबू जगजीवन राम एक जुझारू व्यक्तित्व के धनी थे, जिन्होंने जीवन की विषम परिस्थितियों का सामना करते हुए भी शिक्षा प्राप्त की. बाबूजी स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में शामिल हुए और रक्षा, कृषि, रेलवे, श्रम जैसे कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया. उनका प्रसिद्ध कथन जाति जन्म से नहीं, कर्म से होती है समाज की जड़ता पर करारा प्रहार करता है. कार्यक्रम के अंत में बाबू जगजीवन राम के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि दी गयी. इस अवसर पर डॉ. रणधीर कुमार, सुमित कुमार सिंह, नीतीश कुमार, अबरार, राम अवतार दास, सुरेंद्र चौरसिया समेत कई अन्य शिक्षक व छात्र मौजूद थे.
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