इस मशीन का उपयोग अस्पताल में भर्ती गर्भवती महिलाओं की स्थिति जानने के लिए इस मशीन का उपयोग गाइनोकोलॉजिस्ट ही करते हैं. किसी अन्य तरह के मरीजों को जांच की जरूरत होती है, तो उन्हें पर्ची देकर बाहर जांच कराने को कहा जाता है. बाहर में सरकारी अस्पतालों के आसपास बिना स्पेशलिस्ट डॉक्टर व अनट्रेंड टेक्निशियन के सहारे कई जगहों पर जांच केंद्र चलाये जा रहे हैं.
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यहां से जांच कराने के बाद कई बार सरकारी अस्पताल के डॉक्टर ही उसके जांच को मानने को तैयार नहीं होते हैं. इसके बाद मरीज को फिर से पैसा लगाकर दोबारा जांच कराना पड़ता है. इतना ही नहीं प्रभावती व जेपीएन हॉस्पिटल के साथ एएनएमएमसीएच में डॉक्टर अगर मरीज को अल्ट्रासाउंड जांच के लिए लिखते हैं, तो वहां से ही दलाल लोग सक्रिय हो जाते हैं. अधिक कमीशन के चक्कर में दलाल जैसे-तैसे चलने वाले जांच केंद्रों में जांच करवा देते हैं.
एएनएमएमसीएच में कई महीनों से बंद है अल्ट्रासाउंड जांच
एएनएमएमसीएच में छह माह से अधिक समय से अल्ट्रासाउंड बंद है. अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार, यहां एक रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती है. लेकिन, इनका पूरा समय पुलिस केस, बच्चा वार्ड में भर्ती व एक्सीडेंटल मरीजों के जांच में ही चला जाता है. इसके चलते यहां सामान्य मरीजों का जांच नहीं हो पाता है. हर दिन अगर देखा जाये, तो मगध मेडिकल से ही 30-40 मरीज अल्ट्रासाउंड जांच कराने जाते हैं. भर्ती मरीजों को एंबुलेंस से बाहर जांच के लिए ले जाना पड़ता है.
जिला में अस्पतालों की संख्या
एएनएमएमसीएचजेपीएनप्रभावती हॉस्पिटलअनुमंडल अस्पताल- 02एपीएचसी- 11सीएचसी- 17पीएचसी- 04
क्या कहते हैं अधिकारी
स्वास्थ्य डीपीएम नीलेश कुमार ने बताया कि यह सच है कि अल्ट्रासाउंड मशीनें रहते हुए जांच नहीं हो पा रही है. इसका मुख्य कारण है कि रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती ही नहीं है. इसके लिए सरकार को कई बार पत्र दिया गया है. एनएमएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ एनके पासवान ने कहा कि एक रेडियोलॉजिस्ट का पूरा समय पुलिस केस व एक्सिडेंटर के अलावा बच्चा वार्ड के जांच में चला जाता है. उन्होंने बताया कि रेडियोलॉजिस्ट के तैनाती होने के बाद ही सामान्य व विभिन्न विभागों में भर्ती मरीजों का जांच हो सकेगा. इसके लिए विभाग को पत्र दिया गया है.