गया न्यूज :
महाबोधि मंदिर में बोधिवृक्ष की छांव तले बुद्ध जयंती समारोह आयोजित
विभिन्न देशों के बौद्ध भिक्षु, भिक्षुणी, लामा व श्रद्धालु शामिल, शांति, करुणा व अहिंसा का लिया संकल्प
वरीय संवाददाता, बोधगया.
उन्होंने कहा कि आग कितनी भी गहरी हो, वह जल के प्रभाव में आते ही शांत हो जाती है. उन्होंने कहा कि भारत में सभी धर्मों का बेहतर समन्वय रहा है. यही भारतीय प्रज्ञा है. हम नाम के चक्कर में नहीं पड़ते. राज्यपाल ने कहा कि मैं मुस्लिम परिवार में जन्म लिया, लेकिन बड़ी श्रद्धा और आस्था के साथ चर्च में भी जाता हूं. यही भारतीय संस्कार है. सिद्धार्थ गौतम अपनी तप व साधना के बाद बुद्धत्व को प्राप्त किया, जिसने भी तप व साधना की है, उन्हें प्रज्ञा प्राप्त हुई, जिसे हम ब्रह्म ज्ञान भी कहते हैं.
राज्यपाल ने कहा कि जहां आत्म इतनी शक्तिशाली हो गयी और उन्हें ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति हो गयी, वह परमात्मा हो गया. उन्होंने कहा कि प्रज्ञा अनुभव का मामला है. ज्ञान केवल किताब पढ़ने से नहीं आता, किताबों में जो मार्ग बताया गया है, उसके पढ़ने पर जो अनुभव प्राप्त होता है, वही ज्ञान है. उन्होंने बीटीएमसी द्वारा आयोजित कार्यक्रम की व्यवस्था की सराहना की. इससे पहले दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया. थेरावाद एवं महायान परंपरा से सूत्रपात किया गया और विश्व शांति की कामना की गयी. डीएम सह बीटीएमसी के अध्यक्ष डॉ त्यागराजन ने स्वागत संबोधन करते हुए कहा कि महाबोधि मंदिर परिसर पूरी तरह से इकोफ्रेंडली बनाया गया है. मौके पर थाईलैंड के काउंसल जनरल के प्रतिनिधि व इंटरनेशनल बुद्धिस्ट कौंसिल के प्रतिनिधि नवांग तेनजिंग ज्ञातसो ने भी संबोधित किया.
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