गुरुआ. बरमा पंचायत के नसेर-विशुनपुर गांव में नहर किनारे लगाये गये हजारों पेड़ों में से दर्जनों पेड़ों को बिजली विभाग द्वारा छंटाई के नाम पर जड़ से काट दिये जाने पर स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है. ग्रामीणों का कहना है कि यह पहली बार नहीं हुआ है. इससे पहले भी विभाग ने छंटाई की आड़ में सैकड़ों पेड़ों को नष्ट कर दिया है. ग्रामीणों के अनुसार, ये पेड़ वर्ष 2017 में मनरेगा योजना के तहत लगाये गये थे. स्थानीय लोगों की देखभाल और संरक्षण के चलते पेड़ अब घने और बड़े हो गये थे. लेकिन अचानक बिना किसी पूर्व सूचना के बिजली विभाग ने दर्जनों पेड़ों को जड़ से काट दिया, जिससे पर्यावरण प्रेमियों और ग्रामीणों में गहरा रोष है. बरमा पंचायत के पूर्व मुखिया गोपाल प्रसाद ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. उन्होंने कहा कि छंटाई का मतलब पेड़ की शाखाओं को काटना होता है, न कि पूरे पेड़ को ही गिरा देना. बिजली विभाग द्वारा जानबूझकर पेड़ों को जड़ से काटा जा रहा है, जो पर्यावरण संरक्षण कानून का खुला उल्लंघन है. प्रशासन की चुप्पी पर सवाल ग्रामीणों ने प्रशासन की चुप्पी पर भी सवाल उठाये हैं. उनका कहना है कि नहर किनारे के ये पेड़ केवल हरियाली के लिए नहीं, बल्कि पर्यावरण संतुलन और स्थानीय जलवायु के लिए भी बेहद जरूरी थे. ग्रामीणों का आरोप है कि विभाग लगातार नियमों की अनदेखी कर मनमानी कर रहा है, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है. क्या बोले सीओ इस मामले में अंचलाधिकारी मो अतहर जमील ने बताया कि अभी तक इसकी लिखित सूचना हमें नहीं मिली है. यदि पेड़ कटे हैं, तो विभागीय स्तर पर कार्रवाई की जायेगी.
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