इच्छुक एजेंसियों से 18 सितंबर तक मांगा गया प्रस्ताव
इसके लिए इच्छुक एजेंसियों से 18 सितंबर तक प्रस्ताव मांगा गया है. डोर-टू -डोर होने वाले सर्वे के आधार पर सभी जगहों की जीआइएस मैपिंग की जायेगी. इसके आधार पर तय होगा कि कौन सी प्रॉपर्टी असल में कितने साइज की है? काम पूरा होने पर हर निकाय का अपना अलग इ-रजिस्टर होगा, जिससे आसानी से टैक्स की स्थिति देखी जा सकेगी.
तीन चरणों में पूरा होगा काम
जीआइएस मैपिंग और प्रापर्टी सर्वे का यह काम तीन चरणों में पूरा किया जायेगा. पहले चरण में शहरी निकाय का विस्तृत जीआइएस आधारित नक्शा तैयार होगा. फिर दूसरे चरण में प्रोपर्टी सर्वे का काम होगा. इसके बाद तीसरे चरण में जीआइएस एप्लीकेशन विकसित कर नक्शेसे प्रॉपर्टी डाटा को अटैच कर दिया जायेगा.
यह होगा लाभ
जीआइएस मैपिंग से शहर के सभी प्लाट और मकानों की वास्तविक स्थिति और उस पर लगाने वाले कर की जानकारी हो सकेगी. कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को लेकर टैक्स देने में फर्जीवाड़ा नहीं कर सकेगा. इससे निकायों की आमदनी बढ़ेगी और लोग सही कर राजस्व का भुगतान कर सकेंगे.
20 ग्रुप में बटेंगे शहर
नगर विकास विभाग ने इसके लिए फार्मूला तय कर दिया है. सभी 99 शहरों को 20 ग्रुपों में बाट कर योजना शुरू की जायेगी. पटना, दानापुर, खगौल, फुलवारीशरीफ, मनेर, बिहारशरीफ, राजगीर सहित 49 शहरों का सर्वे 12 ग्रुप में बांट कर होगा. वहीं, पुनपुन, बिहटा, संपतचक, धमदाहा, मीरगंज, फुलपरास, बेनीपट्टी सहित 42 शहरों का सर्वे आठ ग्रुप में बांट कर होगा.