बिहार के 8 जिलों को मिलेगा सीधा लाभ
इस हाई-स्पीड एक्सप्रेसवे का निर्माण बिहार के पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, शिवहर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज जिलों से होकर किया जाएगा. इसके तहत गंडक, बागमती और कोसी नदी पर कई पुलों का निर्माण भी होगा. जिससे राज्य में कनेक्टिविटी और मजबूत होगी.
लगभग 39,000 करोड़ की लागत, बिहार के हिस्से में 27,552 करोड़
इस एक्सप्रेसवे परियोजना की कुल लागत 38,645 करोड़ रुपये आंकी गई है. जिसमें से बिहार के हिस्से का खर्च 27,552 करोड़ रुपये होगा. 120 किमी प्रति घंटे की रफ्तार के लिए डिजाइन किए गए इस एक्सप्रेसवे पर वाहन फर्राटा भर सकेंगे. जिससे सफर का समय कम होगा और लॉजिस्टिक्स सेक्टर को बढ़ावा मिलेगा.
बिहार के विकास को नई रफ्तार
बिहार के पथ निर्माण मंत्री नितिन नवीन ने इस परियोजना को राज्य के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि बताया और केंद्र सरकार का आभार जताया. उन्होंने कहा कि यह एक्सप्रेसवे बिहार के राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई बढ़ाने के साथ-साथ व्यापार, पर्यटन और औद्योगिक विकास को भी गति देगा.
क्या होगा फायदा?
- उत्तर बिहार से पश्चिम बंगाल, पूर्वोत्तर, उत्तर प्रदेश और दिल्ली का सफर होगा आसान.
- बिहार के 8 जिलों को सीधे हाई-स्पीड रोड नेटवर्क से जोड़ा जाएगा.
- 120 किमी/घंटा की स्पीड से यात्रा होगी तेज, समय और ईंधन दोनों की होगी बचत.
- बाढ़ प्रभावित इलाकों में मजबूत पुलों और सड़कों का निर्माण, जिससे हर मौसम में कनेक्टिविटी बनी रहेगी.
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नया युग, नई रफ्तार!
गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेसवे बिहार के विकास की दिशा में एक नया युग लेकर आएगा. यह न सिर्फ लोगों के सफर को आसान बनाएगा, बल्कि राज्य की अर्थव्यवस्था को भी नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने में मदद करेगा.