पटना. बिहार की जेलों से अधिकतम सजा काट चुके सजायाफ्ता कैदियाें को रिहा किये जाने की योजना है. कैदियों को अधकितम छह माह तक की सजा माफ कर जेल से रिहा किया जा सकता है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद पिछले दिनों पटना हाइकोर्ट के जज अश्विनी कुमार सिंह, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव चैतन्य प्रसाद और जेल आइजी मिथिलेश मिश्रा की कमेटी ने उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला लिया है.
कमेटी ने इसका प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है. इसके बाद अंतिम निर्णय लिया जायेगा.दस साल की सजा पाने वाले कैदियों को सजा पूरी होने से छह माह पहले,सात से दस साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को पांच माह पहले, पांच से सात साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को चार माह पहले, तीन से पांच साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को तीन माह पहले, एक से तीन साल के बीच सजा पाने वाले कैदियों को दो माह पहले रिहा किया जाने की योजना है.
इसमें एक साल से लेकर 10 साल के बीच की सजा पाने वाले कैदी शामिल होंगे. गौरतलब है कि बिहार की 59 जेलों में 62 हजार से अधिक कैदी बंद हैं, जबकि जेलों की क्षमता 46 हजार कैदियों की ही है.
इनको राहत नहीं
केंद्रीय एजेंसी से जुड़े मामले आतंकवाद, मनी लांड्रिंग, भ्रष्टाचार, महिला और बाल अपराध, आर्म्स एक्ट, राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक धोखाधड़ी, एसिड अटैक केस के साथ टाडा, पोटा, यूएपीए, पॉक्सो जैसे विशेष कानून के तहत गिरफ्तार या सजायाफ्ता कैदियों को इस छूट के दायरे से बाहर रखा गया है.
Posted by Ashish Jha
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