मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल का लोटा विद्रोह जानिए, मिट्टी का लोटा दिये जाने पर कैदियों ने किया था आंदोलन

Independence Day: आजादी की लड़ाई में मुजफ्फरपुर के लोगों ने भी अपना योगदान दिया है. मुजफ्फरपुर के सेंट्रल जेल में लोटा विद्रोह हुआ था. यहां लोटा दिये जाने पर कैदियों ने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलन कर दिया था.

By Sakshi Shiva | August 13, 2023 3:25 PM
feature

Independence Day 2023: आजादी की लड़ाई में मुजफ्फरपुर के लोगों ने भी महत्वपूर्ण योगदान दिया है. 14 मई 1855 के दिन मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों ने क्रांति की शुरुआत कर दी. कैदी इस बात पर भड़के हुये थे कि जेल प्रशासन ने उनसे पीतल का लोटा छीनकर मिट्टी का लोटा दे दिया था. कैदियों का मानना था कि मिट्टी का लोटा एक बार शौच के लिये इस्तेमाल किया जाये तो वह अपवित्र हो जाता है, लेकिन अंग्रेज इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं थे. उन्हें लगता था कि पीतल के बर्तन को गलाकर जेल तोड़ने का हथियार बनाया जा सकता है. कैदियों का जब विद्रोह भड़का तो मजिस्ट्रेट ने गोली चलवा दी. इससे मामला और बिगड़ गया. जेल में बंद कैदी अधिकतर किसान थे. जेल के पास अफीम वालों का एक गोदाम था, जहां 12 हजार किसान अपने- अपने काम से आए हुए थे. जेल में हो रही कार्रवाई की खबर फैली, तो तमाम किसान जेल की ओर दौड़े. उनके आने से क़ैदियों का हौसला भी बढ़ गया. हालांकि, इससे किसानों का बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन आग अंदर ही अंदर सुलगती रही.

वारिस अली पर लगा विद्रोह भड़काने का आरोप

तिरहुत के मजिस्ट्रेट एएच रिचर्डसन को नीलहों से शिकायत मिली थी कि वारिस अली लोटा आंदोलन का समर्थन करते हुये विद्रोहियों की मदद कर रहे हैं. इस आरोप से बरुराज पुलिस चौकी के पास उनके निवास से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. कॉन्टेस्टिंग कॉलोनिलिज्म एंड सेपराटिज्म : मुस्लिम ऑफ मुजफ्फरपुर पुस्तक के अनुसार गिरफ्तारी के बाद वारिस अली को मुजफ्फरपुर के पुरानी बाजार नाका में तीन दिनों तक रखा गया था और उसके बाद उन्हें सुगौली मेजर की अदालत में पेश किया गया. मेजर ने इस आधार पर कार्रवाई करने से इनकार किया कि इनके खिलाफ सबूत अपर्याप्त हैं. इसके बाद उन्हें पटना के तत्कालीन कमिश्नर विलियम टेलर की अदालत में पेश किया गया. 6 जुलाई 1857 को दानापुर छावनी में उन्हें फांसी दे दी गयी.

Also Read: बिहार: स्वतंत्रता दिवस पर कड़ी सुरक्षा, पटना में तैनात रहेंगे ग्यारह सौ सुरक्षाकर्मी, जानें और क्या होगा खास
ब्रिटिश सरकार की कार्रवाई का हुआ विरोध

1770 से 1800 के बीच बिहार के तिरहुत और सारण शोरा (पोटैशियम नाइट्रेट) का मुख्य उत्पादक क्षेत्र था. शोरा बारूद बनाने के काम में आता था. शोरा उत्पादन करने का कार्य मुख्य रूप से नोनिया जाति करते थे. ब्रिटिश कंपनी और नोनिया के बीच आसामी मध्यस्थता का कार्य करते थे, नोनिया कच्चा शोरा लेकर कारखानों को देते थे. आसामियों को ब्रिटिश कंपनियों द्वारा शोरे की एक चौथाई रकम अग्रिम मिलती थी्. कलमी शोरा के लिये दो से चार रुपये प्रति मन और कच्चा शोरा के लिये एक से चार आना प्रति मन आसामी कंपनी से लेते थे और नोनिया लोगों को 12, 14 या पांच आना मन देते थे. जबकि, अन्य व्यापारी जो कंपनी से संबंधित नहीं थे, वे नोनिया लोगों को तीन रुपये प्रति मन शोरा देते थे. कंपनियां नोनिया का शोषण कर रही थी, इसलिये गुप्त रूप से वह व्यवसायियों को शोरा बेचने लेगे. ब्रिटिश सरकार ने जब कार्रवाई की तो नोनिया ने विद्रोह कर दिया.

Also Read: बिहार: कदमकुंआ कांग्रेस मैदान का इतिहास गौरवशाली, तो जानें कौन से जेल में क्रांतिकारियो ने गुजारी कई रात

Also Read: बिहार के सुखासन गांव में मिट्टी से तैयार किया गया था नमक, गढ़पुरा के भी नमक सत्याग्रह स्थल को जानिए

बता दें कि आजादी के दीवाने चाहते थे कि आने वाली पीढ़ी गुलामी से मुक्त होकर खुली हवा में सांस ले सके. इसके लिये उन्होंने अपने जान की परवाह तक नहीं की थी. आजादी आंदोलन के दौरान मुजफ्फरपुर उत्तर बिहार का मुख्य केंद्र हुआ करता था. यहां के कई वीरों ने खुद को कुर्बान कर दिया किया था. तो कई क्रांतिकारियों ने मुजफ्फरपुर की जमीं से क्रांति की शुरुआत की थी. मुजफ्फरपुर सेंट्रल जेल में बंद कैदियों ने क्रांति की थी. इन्होंने आजादी की लड़ाई में अहम भूमिका निभाई थी. जेल प्रशासन के मिट्टी का लोटा देने पर इन्होंने विरोध छेड़ दिया था. कैदियों का मानना था कि मिट्टी का लोटा एक बार शौच के लिये इस्तेमाल के बाद अपवित्र हो जाता है. लेकिन, अंग्रेज इस बात को मानने के लिये तैयार नहीं थे. उन्हें लगता था कि पीतल के बर्तन को गलाकर जेल तोड़ने का हथियार बनाया जा सकता है. इस कारण ही उन्होंने कैदियों को पीतल का लोटा नहीं दिया था. लेकिन, कैदी इस कारण नाराज हो गए. इसके बाद उन्होंने अंग्रेजी सरकार के खिलाफ आंदोलन किया.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version