जहानाबाद. मेंटेनेंस कार्य के लिए दिनभर शहर की बिजली गुल हुई तो सदर अस्पताल में आउटसोर्सिंग के कारनामे की पोल खुल गयी. सदर अस्पताल में जनरेटर की सप्लाई करने वाली एजेंसी ने जनरेटर से एसी का कनेक्शन नहीं कर रखा था जिसके कारण घंटों बिजली गुल होने पर पूरे अस्पताल में त्राहिमाम मच गया. भीषण गर्मी के कारण मरीज से लेकर डॉक्टर और कर्मचारी तक बहाल हो गए. सबके शरीर से पसीने बहाने लगे. पसीने से डॉक्टर और कर्मचारियों के कपड़े तो मरीज के बेड तक गिले हो गये. सबसे ज्यादा परेशानी उन मरीजों को हुई जिनकी स्थिति गंभीर थी. आम मरीज हाथ से पंखा चलकर गर्मी भगाने का प्रयास कर रहे थे किंतु गंभीर मरीजों को लाख हवा देने के बाद भी उन्हें राहत नहीं मिल रही थी. हाल यह हुआ कि कुछ डॉक्टर गर्मी से बचने के लिए बिल्डिंग के बाहर खुले में मरीजों को देखने लगे. हालांकि अस्पताल में पंखे चल रहे थे किंतु उसकी हवा जैसे आग बरसा रही थी. ज्ञात हो कि जहानाबाद सदर अस्पताल पूरी तरह फैब्रिकेटेड बिल्डिंग में चल रहा है. इमरजेंसी से लेकर लेबर रूम बच्चों के इमरजेंसी वार्ड सभी फैब्रिकेटेड बिल्डिंग में चलाये जा रहे हैं. क्योंकि मुख्य बिल्डिंग को तोड़कर नई बिल्डिंग बनायी जा रही है. पूरा सदर अस्पताल फैब्रिकेटेड बिल्डिंग में चलाये जाने के कारण वह पूरी तरह पैक है. एसी नहीं चलने पर इसमें वेंटिलेशन नहीं हो पता है. आम दिनों में 10-20 मिनट या आधे घंटे बिजली गुल रहने पर किसी को कुछ पता नहीं चल पाता था, किंतु गुरुवार को जब दिन भर बिजली गुल हुई तो हकीकत सामने आ गयी. अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर लेबर रूम, ड्रेसिंग रूम, बच्चों की इमरजेंसी (पिक्कू) वार्ड, सदर अस्पताल का ड्रग स्टोर किसी की एसी नहीं चल रही थी. घंटे दो घंटे बिजली गुल रहने के बाद पूरे अस्पताल में त्राहिमाम मच गया. सभी गर्मी से बेहाल हो उठे. पहले यह बताया गया कि जनरेटर एसी का लोड नहीं ले रहा है. हालांकि बिजली नहीं रहने पर पूरे सदर अस्पताल में जनरेटर से बिजली की सप्लाइ करने के लिए आउटसोर्सिंग के माध्यम से 200 केबीए का जनरेटर लगाया गया है जिसकी कैपेसिटी पूरे सदर अस्पताल की एसी की लोड लेने की है, किंतु संचालक ने अस्पताल की एसी का कनेक्शन जनरेटर से नहीं कर रखा था. केवल बल्ब मरकरी और पंखे का कनेक्शन ही एसी से था. हाल यह है कि अस्पताल की इमरजेंसी से लेकर लेबर रूम पीकू वार्ड और यहां तक कि सदर अस्पताल के ड्रग स्टोर में भी एसी का कनेक्शन जनरेटर से नहीं था. जबकि जिले का सबसे बड़ा अस्पताल होने के कारण यहां 24 घंटे महिलाओं की डिलीवरी होती है. लेबर रूम में ही सिजेरियन के लिए ऑपरेशन थिएटर बना है. गनीमत थी कि आज कोई ऑपरेशन नहीं था. इमरजेंसी में ड्रेसिंग रूम भी है जिसमें क्रिटिकल मरीज आते रहते हैं. जिले के वाणावर में श्रावणी मेला चल रहा है. पिछले साल मेले में भगदड़ होने के कारण बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की मौत हो गयी थी. गनीमत थी कि जिले में कोई वैसा हादसा या दुर्घटना नहीं हुई जिसके कारण बड़ी संख्या में घायल सदर अस्पताल में इलाज करने के लिए पहुंच जाये. अगर खुदा न खस्ता वैसा हो जाता तो गर्मी से ही कितने लोगों की जान चली जाती. सदर अस्पताल के केवल ब्लड बैंक की एसी को जनरेटर से कनेक्ट किया गया था. वह तो इमरजेंसी और गायनी के डॉक्टर और कर्मचारियों के द्वारा अस्पताल के अधीक्षक को त्राहिमाम संदेश भेजे जाने के बाद अस्पताल की अधीक्षक डॉ प्रमोद कुमार खुद सदर अस्पताल पहुंचे और मामले की तहकीकात की. जब वह इलेक्ट्रीशियन लेकर सदर अस्पताल में पहुंचे और एसी की जांच करायी, तो पता चला कि ब्लड बैंक को छोड़कर किसी भी एक का कनेक्शन जनरेटर से नहीं है. इसके बाद उन्होंने खुद अपने सामने सारे एक का कनेक्शन जनरेटर से जुड़वाया जिसके बाद अस्पताल में मरीज से लेकर डॉक्टर और कर्मचारियों ने राहत की सांस ली. सदर अस्पताल की अधीक्षक डॉ प्रमोद कुमार ने बताया कि यह आउटसोर्सिंग के संचालक की सरासर बदमाशी है. उन्होंने अस्पताल के रजिस्टर में इसे मेंशन कर दिया है और इसकी लिखित सूचना वह सिविल सर्जन को देने जा रहे हैं. सदर अस्पताल के प्रधान लिपिक को इस पर नजर रखने के लिए कहा गया है. इस मामले में कार्रवाई का अधिकार सिविल सर्जन को है. क्या कहती हैं डीएम मुझे इस स्थिति की जानकारी किसी ने नहीं दी है. आपके माध्यम से ही इसकी जानकारी मिल रही है. इस मामले में सिविल सर्जन से बात करूंगी और एजेंसी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जायेगी. अलंकृता पांडेय, डीएम, जहानाबाद
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