Bihar News: कैमूर में ट्रेन से कटकर मरे व्यक्ति का शव उठाने के लिए सासाराम से आते हैं स्वीपर, जानें क्या है मामला

Bihar News: गया-डीडीयू रेलखंड स्थित भभुआ रोड स्टेशन पर स्वीपर की स्थायी रूप से व्यवस्था नहीं की गयी है. इस कारण रेल दुर्घटना के बाद मरे व्यक्ति का शव घंटों रेलवे लाइन पर पड़ा रहता है. इससे जीआरपी के साथ परिजनों को भी काफी परेशानी होती है.

By Radheshyam Kushwaha | April 20, 2025 7:00 PM
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Bihar News: कैमूर जिला क्षेत्र अंतर्गत रेल दुर्घटना में अगर किसी भी व्यक्ति की मौत हो जाती है, तो शव को उठाने के लिए स्वीपर सासाराम या डेहरी से बुलाना पड़ता है. यह कोई नया मामला नहीं है, बल्की कई वर्षों से यही व्यवस्था चलती आ रही है. इससे कर्मनाशा स्टेशन से लेकर कुदरा तक के बीच अगर किसी व्यक्ति की ट्रेन की चपेट में आ जाने से मौत हो जाती है, तो उसका शव रेलवे ट्रैक पर ही घंटों पड़ा रहता है. इसका मुख्य कारण है स्टेशन पर एक भी स्वीपर की व्यवस्था नहीं होना है.

घंटों पड़ा रहात है शव

कर्मनाशा से लेकर सोननगर तक मात्र दो स्वीपर की व्यवस्था है. वहीं, यदि एक ही समय दोनों जगह रेल दुर्घटना से किसी व्यक्ति की मौत हो जाये, तो स्वीपर के इंतजार में घंटों शव रेलवे लाइन पर पड़ा रहता है. जबकि लोकल थाना क्षेत्र में जब ट्रेन दुर्घटना में मौत होती है, तो लोकल थाने की पुलिस शव को उठाती है. लेकिन, जीआरपी थाना क्षेत्र में ट्रेन से दुर्घटना होती है, तो स्वीपर के इंतजार में घंटो शव ट्रैक पर पड़ा रहता है.

दर्जा बी ग्रेड पर सुविधा नदारद

भभुआ रोड स्टेशन को भले ही बी ग्रेड का दर्जा प्राप्त है. लेकिन, सुविधा के नाम पर आज भी भभुआ रोड स्टेशन पर कुछ भी नहीं है. जहां स्थायी स्वीपर से लेकर कई ट्रेनों का ठहराव व यात्रियों की सुविधा शामिल है. भभुआ रोड स्टेशन की प्रति दिन की आमदनी करीब तीन लाख से चार लाख तक है. लेकिन, इतना सब कुछ होने के बाद भी स्टेशन पर एक भी स्वीपर की व्यवस्था तक विभाग द्वारा नहीं की गयी है. इससे लोगों के साथ-साथ जीआरपी को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है.

क्या कहते हैं जीआरपी प्रभारी

इस संबंध में भभुआ रोड प्रभारी जीआरपी थाना अध्यक्ष मुन्ना सिंह ने बताया की अगर किसी व्यक्ति की ट्रेन के चपेट में आने से मौत हो जाती है, तो हमारे यहां स्वीपर की कोई व्यवस्था नहीं है. उस स्थिति में हमें सासाराम या डेहरी से स्वीपर बुलाना पड़ता है या फिर मेरा ही कोई स्टॉफ सासाराम या डेहरी जायेगा और वहां से स्वीपर लेकर आयेगा तब शव को हटवाया जाता है, जिस कारण आने-जाने में काफी देरी होती है. अगर इसके लिए यही पर स्वीपर की प्रतिनियुक्ति हो जाये, तो आसानी होगी और हम लोगों को परेशानी नहीं होती.

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