उमेश सिंह केशर, भभुआ
इधर, बिहार निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत जिले के इन दो कंपनियों की दिये गये राशि के आलोक में वर्ष 2018 में उद्योग विभाग निदेशालय पटना द्वारा निरीक्षण किया गया. परंतु विभागीय निरीक्षण के क्रम में इन दोनों कंपनियों को बंद पाया गया और सरकारी राशि का सदुपयोग नहीं किये जाने का मामला सामने आया. इसके बाद इन कंपनियों से राशि वसूलने को लेकर इनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई जिलास्तर पर आरंभ कराया गया व नीलाम पत्र वाद भी दायर किया गया. मिली जानकारी के अनुसार, नीलाम पत्र वाद के सुनवाई में दीपक वेज प्रो. प्रा. लिमिटेड द्वारा अपना पक्ष यह रखा गया कि बिहार निवेश प्रोत्साहन नीति के तहत कंपनी ने पांच वर्षों तक कार्य किया, जिससे संबंधित साक्ष्य व कागजात नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी व विभाग को उपलब्ध करा दिया गया है, अत: नीति के तहत लगातार पांच साल तक काम करने के कारण अनुदान राशि वापस नहीं ली जाये. इसी तरह सुनवाई में रूचि सोया इंडस्ट्री द्वारा अपने पक्ष में यह कहा गया कि कंपनी दिवालिया हो गयी है. हमने अपनी कंपनी पतंजलि कंपनी को हस्तांतरित कर दी है, इसलिये हमारे इकाई द्वारा ली गयी अनुदान की राशि पतंजलि प्रा. लिमिटेड कंपनी से वसूली जाये, जबकि इस सुनवाई में उद्योग विभाग कैमूर द्वारा नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी से कंपनी के स्वामित्व से अनुदान की राशि सूद सहित वसूल किये जाने का अनुरोध किया गया था.क्या कहते हैं नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी कैमूर
इस संबंध में जब जिला उद्योग महाप्रबंधक हेमलता से बात की गयी तो, उनका कहना था कि इस मामले में नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी से विभागीय स्तर से राज्य सरकार का पक्ष रखने के लिए किसी पदाधिकारी या किसी वकील को नामित करने का अनुरोध किया गया है. ताकि उक्त नीलामवाद का उत्तर नीलाम पत्र वाद पदाधिकारी के कोर्ट में रखा जा सके और कंपनियों को उद्योग लगाने के लिए दी गयी सरकारी राशि सूद सहित वसूल की जा सके.
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