kaimur News : हर महीने जिले से गायब हो रहीं 35 से 40 लड़कियां

परिजन दर्ज करा रहे अपहरण के मामले, बरामदगी में पुलिस के छूट रहे पसीने, लड़कियों को बरामद करने में मुंबई से लेकर गुजरात तक की लगानी पड़ रही है दौड़

By PANCHDEV KUMAR | July 28, 2025 9:29 PM
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भभुआ कार्यालय. घर से लड़कियों के गायब होने का मामला पुलिस के लिए अब बड़ा सिर दर्द बन गया है. आलम यह है कि जिले में हर महीने औसतन 35 से 40 लड़कियां घर से गायब हो जा रही हैं. परिजनों द्वारा इसे लेकर थाने में अपहरण की प्राथमिक की दर्ज करायी जा रही है. अपहरण का मामला सामने आने पर जब पुलिस इसकी गंभीरता से जांच करती है और लड़की को बरामद करती है, तो पता चलता है कि मामला प्रेम-प्रसंग का है. लेकिन, सबसे बड़ी बात यह है कि लड़की के अपहरण के दर्ज मामले में उसे बरामद करने में पुलिस के पसीने छूट जा रहे हैं. पुलिस को लड़कियों को बरामद करने में मुंबई से लेकर गुजरात तक का चक्कर लगाना पड़ रहा है. गायब हुई एक लड़की को बरामद करने में एक अनुसंधान करने वाले पुलिस पदाधिकारी को दिल्ली मुंबई गुजरात का चक्कर लगाने में 10 से 15 दिन लग जा रहे हैं.और इस तरह के मामलों में लगातार बढ़ोतरी ने पुलिस के मुश्किलों को कई गुना बढ़ा दिया है. इस तरह के मामले हर महीने बढ़ते ही जा रहे हैं. पुलिस विभाग के अच्छे खासे संख्या में पुलिस पदाधिकारी लड़कियों के बरामद करने में ही परेशान रह रहे हैं. इस तरह के बढ़ते मामले पुलिस के लिए अब नयी परेशानी का सबब बन गया है.

घर से गायब अधिकतर लड़कियां दिल्ली, मुंबई व गुजरात से हो रही बरामद

बड़ी बात यह है कि घर से गायब होने वाली अधिकतर लड़कियां दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब, हरियाणा व कोलकाता से बरामद हो रही हैं. पुलिस को वहां जाकर उन्हें बरामद करने में कई दिनों का समय लग रहा है. लड़कियों के अपहरण का मामला दर्ज होने के बाद पुलिस तकनीकी अनुसंधान के जरिये पहले लड़कियों के लोकेशन का पता लगती है, तकनीकी अनुसंधान में पता चलता है कि लड़कियां दूसरे राज्य में जैसे मुंबई गुजरात दिल्ली हरियाणा गई हुई है. पुलिस के पदाधिकारी के ऊपर अपहृत हुई लड़की के बरामद करने व अपहरण के दर्द उक्त मामले को निष्पादित करने का दबाव बना रहता है. ऐसे में पुलिस के पदाधिकारियों को लड़की को बरामद करने के लिए दूसरे प्रदेशों में जाना पड़ता है़ लड़की को वहां से बरामद कर लाने में पुलिसकर्मियों को आठ से 10 दिन का समय लग जाता है. इस बीच उक्त पुलिस पदाधिकारी कोई दूसरा काम नहीं कर पाता़ उसके ऊपर अन्य दर्ज मामलों के अनुसंधान का बोझ लगातार बढ़ता ही चला जाता है. कुल मिलाकर पुलिस अपनी शक्ति का अधिकतर इस्तेमाल लड़कियों के बरामद करने में ही करना पड़ रहा है.

इस वर्ष में मई सबसे अधिक 58 लड़कियां घर से हुईं गायब

पिछले छह महीने में 179 लड़कियां हुईं बरामद

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