Kaimur news: प्रभात इंपैक्ट : विभाग ने माना, मनरेगा में हो रही है वित्तीय अनियमितता, आयुक्त ने जारी किया पत्र

प्रभात खबर मनरेगा में व्याप्त वित्तीय अनियमितताओं को लेकर लगातार प्रमुखता से खबर करता रहा है प्रकाशित, अब मनरेगा में दोनों टाइम कार्य करने वाले मजदूरों को ही होगा पूरी मजदूरी का भुगतान

By PANCHDEV KUMAR | July 21, 2025 9:45 PM
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मोहनिया सदर. आपके अपने समाचार पत्र प्रभात खबर ने चालू वर्ष के पहली जुलाई को ””तपती धूप में गर्म कपड़े पहन मजदूरों ने किया मनरेगा में काम”” शीर्षक से खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था. उक्त खबर, प्रभात खबर के प्रथम पृष्ठ पर बिहार के संपूर्ण एडिशन में छपी थी. इसको विभाग ने बहुत ही गंभीरता से लिया और 12 जुलाई को मनरेगा में व्याप्त अनियमितताओं को मानते हुए इसमें पारदर्शिता लाने के लिए मनरेगा आयुक्त ने पत्र जारी किया है. प्रभात खबर लगातार मनरेगा की खबरों को प्रकाशित करता रहा है. इसमें मजदूरों की लाइव फोटो की जगह फोटो से फोटो कैप्चरिंग, मास्टर रोल में महिलाओं का नाम शामिल किया जाना, लेकिन साइट पर अपलोड किये गये तस्वीर में सिर्फ पुरुष मजदूरों का दिखना, मास्टर रोल में 10 मजदूरों का नाम पर फोटो में उनकी संख्या का कम होना आदि मामलों को प्रकाशित किया है. हद तो तब हो जाती है, जब मजदूरों की जगह मवेशियों को भी मजदूर बनाकर उनकी तस्वीर को मनरेगा की साइट पर अपलोड कर दिया जाता है. मानों इसके प्रति किसी की कोई जवाबदेही बनतीं ही नही हो. ऐसे ही मामलों को प्रभात खबर द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है. आज ग्रामीण विकास मंत्रालय (भारत सरकार) ने भी मनरेगा में इस तरह से की जा रहीं वित्तीय अनियमितताओं को सही ठहराया है और प्रभात खबर की खबर पर अपनी मुहर लगा दी है. मनरेगा आयुक्त अभिलाषा कुमारी शर्मा ने अपने पत्र में स्पष्ट किया है कि जिले व प्रखंडस्तर पर मनरेगा योजना के क्रियान्वयन की निगरानी पर प्रश्नचिह्न लग रहा है. वित्तीय अनियमिताओं की संभावना प्रबल हो गयी है. मनरेगा में हो रही वित्तीय अनियमिताओं पर लगाम लगाने के लिए श्रीमती शर्मा द्वारा छह बिंदुओं पर दिशा निर्देश जारी किये गये हैं. पत्र में स्पष्ट किया गया है कि मनरेगा अंतर्गत एनएमएमएस एप के माध्यम से कार्यस्थल पर मजदूरों के दैनिक उपस्थिति व तस्वीर लेने के क्रम में गड़बड़ी की जा रही हैं. पत्र में साफ तौर पर लिखा गया है कि अप्रासंगिक या असंबंधित तस्वीरों का अपलोड किया जाना, लाइव फोटो के बजाय फोटो टू फोटो कैप्चरिंग किया जाना, फोटो व दर्ज उपस्थिति में मजदूरों की संख्या में अंतर होना, श्रमिकों की लिंग संरचना का मेल नहीं खाना, एक से अधिक मास्टर रोल में श्रमिकों की एक ही तस्वीर का पाया जाना, सुबह और दोपहर की तस्वीरों में श्रमिकों व उनकी संख्या में असमानता का होना, दोपहर के समय में फोटो अपलोड न करना, उपरोक्त उल्लेखित अनियमितताएं जिला व प्रखंडस्तर पर मनरेगा योजना के क्रियान्वयन की निगरानी पर प्रश्नचिह्न व वित्तीय अनियमितताओं की संभावना को प्रबल करती है. मनरेगा में एनएमएमएस एप की पारदर्शिता और जवाबदेही को सुनिश्चित करने के लिए ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार ने कई बिंदुओं पर निर्णय लिया है. इसका तत्काल प्रभाव के साथ गंभीरता से अनुपालन करने का आदेश मनरेगा आयुक्त द्वारा जारी किया गया है. # निगरानी प्रक्रिया पर सख्त निर्देश पंचायत स्तर पर पंचायत पदाधिकारी द्वारा टी दिवस एनएमएमएस एप के माध्यम से उपस्थित अपलोड करने के दिन के अंत में सभी अपलोड की गयी तस्वीरें और उपस्थिति का 100 प्रतिशत सत्यापन किया जाना है. प्रखंडस्तर पर कार्यक्रम पदाधिकारी, प्रखंड स्तरीय स्थायी कर्मी, प्रखंडस्तरीय संविदा कर्मी, प्रत्येक पदाधिकारी, कर्मी के द्वारा 200 तस्वीरों या अपलोड की गयी तस्वीरों के 20 प्रतिशत जो भी कम हो की जांच (टी 1) दिन में रेंडम रूप से करेंगे. जिलास्तर पर जिला कार्यक्रम समन्वयक के द्वारा 30 तस्वीरों की जांच की जानी है. जिलास्तरीय स्थायी कर्मी के द्वारा 100 तस्वीरों या अपलोड की गयी तस्वीरों का 10 प्रतिशत व जिलास्तरीय संविदा कर्मी के द्वारा 200 तस्वीरों या अपलोड की गयी तस्वीरों का 10 प्रतिशत, जो भी कम हो की जांच (टी 1) दिन में रेंडम रूप से करेंगे. # गलत फोटो अपलोड करने वालों पर गिरेगी गाज पत्र में स्पष्ट कर दिया गया है कि एनएमएमएस प्रणाली के दुरुपयोग या जानबूझ कर गलत फोटो अपलोड करने वाले जिम्मेदार लोगों और अधिकारियों की पहचान कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जानी है. इससे इस प्रणाली का दुरुपयोग व इस प्रकार की पुनरावृत्ति को समाप्त किया जा सके. दोषी पदाधिकारी, कर्मियों से संबंधित कार्रवाई रिपोर्ट ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार को प्राथमिकता के आधार पर नियमित रूप से प्रस्तुत किया जाना है. इस आलोक में राज्य को समयबद्ध कार्रवाई रिपोर्ट उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाये. साथ ही यह भी कहा गया है कि ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के निर्देशानुसार राज्यस्तर से निर्णय लिया गया है कि मौजूदा कर्मचारियों के साथ जिला और प्रखंडस्तर पर एनएमएमएस निगरानी प्रकोष्ठों का गठन किया जाना सुनिश्चित किया जाये जो एनएमएमएस के माध्यम से अपलोड किये गये फोटो की दैनिक जांच, फोटो सत्यापन और विसंगतियों की रिपोर्टिंग के लिए जिम्मेदार होंगे. 255 रुपये में मजदूर मिलना भी है एक चुनौती आज इस महंगाई के दौर में 255 रुपये में मजदूर लाना भी मनरेगा कर्मियों के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है. जब निजी कार्य को करने पर 400 से 450 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है, तो भला 255 रुपये में मजदूरी करने के लिए कोई क्यों तैयार होगा? हालांकि यह मांग आधारित योजना है. इसमें इच्छुक श्रमिकों की मांग पर ही कार्य दिया जाता है, लेकिन अब सवाल यह उठता है कि कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो 400 से 450 रुपये की दिहाड़ी छोड़कर 255 रुपये में 8 घंटे मिट्टी खुदाई का कार्य करेगा. लेकिन मनरेगा को चलाने के लिए कार्य तो करना ही होगा. ऐसी स्थितियों मे मनरेगा कर्मियों के सामने मजदूर उपलब्ध करना बहुत गंभीर समस्या है. इसका ही परिणाम है कि बिचौलियों के माध्यम से मनरेगा चल रहा है. धरातल पर 20 मजदूर कार्य करते है, तो मास्टर रोल में 80 मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की जाती है. हालांकि हम बिहार की बात छोड़ दें, तो कुछ अन्य राज्यों में मनरेगा की मजदूरी 300 से 350 रुपये भी है. इसका कारण यह है कि वहां की राज्य सरकार मनरेगा पर अपना अधिक अंश व्यय कर रही है: # कुछ प्रखंडों में पीआरएस पर किया गया है स्पष्टीकरण मनरेगा आयुक्त द्वारा जारी पत्र में एनएमएमएस को लेकर दी गयी सख्त हिदायत के बाद भी जिले के कुछ प्रखंडों में फोटो से फोटो अपलोड करने से कुछ मनरेगा कर्मी बाज नहीं आ रहे हैं. इसको लेकर पीओ द्वारा पंचायत रोजगार सेवकों पर स्पष्टीकरण भी किया गया है. हालांकि भले ही निचले स्तर पर स्पष्टीकरण किया गया है. मनरेगा में जिस तरह बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितताओं का खेल संबंधित पदाधिकारी और कर्मियों द्वारा मिलकर खेला जाता रहा है, विभाग ने उसे बहुत गंभीरता से लिया है. जिस तरह मनरेगा आयुक्त के पत्र में सख्त निर्देश जारी किया गया है, उससे स्पष्ट होता है कि इस तरह की गलतियां करने वालों का बचना अब मुश्किल होता नजर आ रहा है. क्योंकि उस कार्रवाई की प्रति प्रखंड स्तर से जिलास्तर जिला से राज्य और राज्य में बैठे पदाधिकारी केंद्र सरकार को भेजेंगे. ऐसे में लापरवाही करने वाले पदाधिकारी और कर्मियों पर कारवाई की तलवार लटक रही है.

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