कार्यभार का बोझ बना मौत का कारण?
28 जुलाई को अचानक उनकी तबीयत प्रखंड कार्यालय में बिगड़ गई. परिजनों के अनुसार, अत्यधिक वर्कलोड और उच्चाधिकारियों के दबाव में काम करते-करते सत्यजीत मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुके थे. पहले उन्हें घर लाया गया, फिर कटिहार मेडिकल कॉलेज ले जाया गया. ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि होने के बाद कोलकाता के पियरलेस अस्पताल में भर्ती कराया गया, लेकिन इलाज के दौरान 31 जुलाई की सुबह उनका निधन हो गया.
विभागीय प्रेशर का आरोप
परिजनों और साथ काम करने वाले BLO कर्मियों ने बताया कि सत्यजीत के अधीन 14 बीएलओ कार्यरत थे और एक महीने से वे दबाव में थे. शिक्षकों ने कहा कि “काम का प्रेशर इतना अधिक था कि वो उसे झेल नहीं सके, यही उनकी मौत की वजह बनी.” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि समय पर उचित इलाज नहीं मिल पाया, जिससे स्थिति और बिगड़ती गई.
परिवार को नहीं मिला समय पर इलाज
मृतक शिक्षक के परिजनों ने बताया कि जब फोन पर सूचना मिली, तब तक स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी. कोलकाता में भर्ती कराने के बाद भी उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका. सीटी स्कैन में ब्रेन में गंभीर क्लॉटिंग मिली थी.
शिक्षक संघ की मांग- पीड़ित परिवार को मिले मुआवजा
शिक्षक संघ और स्थानीय शिक्षकों ने इस घटना को चुनाव आयोग की लापरवाही और काम के अत्यधिक बोझ का नतीजा बताया है. शिक्षक संघ के लोगों ने कहा कि “सत्यजीत हर दिन रात 11 बजे तक ऑफिस में काम करते थे. वे ईमानदारी से जिम्मेदारी निभा रहे थे, लेकिन सिस्टम का दबाव जानलेवा बन गया.”
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