कटिहार देखरेख के अभाव में डीएस काॅलेज इन दिनों चारागाह बना हुआ है. 14 मानव बल नियुक्ति के बाद भी जहां वर्गकक्ष में कचरे का ढेर है. दूसरी ओर कॉलेज परिसर से लेकर वर्गकक्ष के बरामदों पर पशुओं का जमावड़ा लगा रहता है. इससे कॉलेज आने वाले छात्र छात्राओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का कहना है कि दो तिहाई से अधिक शिक्षक उत्तर पुस्तिका मूल्यांकन, डीएल पर हैं. इससे स्थिति और गंभीर बनी हुई है. सफाई के नाम पर कोरम पूरा किये जाने से शौचालय तक में गंदगी का अम्बार रहता है. हो रहे नामांकन के बीच आने वाले नये- नये छात्र छात्राओं को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. कॉलेज परिसर में जहां गाय, भैंस विचरण से आने वाले अभिभावक हतप्रभ हैं. वर्गकक्ष में बकरियों की झूंड से छात्र-छात्राएं आश्चर्यचकित रहती है. कई छात्रों का कहना है कि डीएस कॉलेज कभी पटना साइंस कॉलेज के बाद दूसरे स्थान था. विधि व्यवस्था से लेकर लैब के लिए चर्चित था. इन दिनों देखरेख के अभाव में धीरे धीरे छवि धूमिल हो रही है. बुधवार को भी हॉल टू के बरामदे से लेकर वर्ग कक्षों में बकरियों की झूंड कॉलेज व्यवस्था को तार तार करने के लिए काफी रहा. शिक्षकेत्तर कर्मचारियों का कहना है कि एक स्थायी स्वीपर व 14 मानव बल कई माह से कार्यरत है. प्रमुख जगहों को छोड़ जहां तहां सफाई के अभाव में कचरे के ढ़ेर से छात्र नाक पर रूमाल रखकर आने जाने को विवश होते हैं. जानकारी देने के बाद होती है वर्गकक्षों में साफ सफाई एनएसयूआई के मीठू, शेख इकबाल समेत अन्य का कहना है कि कॉलेज परिसर के साथ वर्ग कक्षों में सफाई के अभाव में गंदगी जमा रहता है. हर हमेशा गंदगी के बीच छात्रों को पठन पाठन की मजबूरी रहती है. कभी कभार स्थिति इस तरह गंभीर होती है कि वर्गकक्ष में गंदगी को देख शिक्षकों को जानकारी देने के बाद कचरे का उठाव हो पाता है. उनलोगों ने कॉलेज प्रशासन से प्रतिदिन सभी वर्गकक्ष से लेकर कॉलेज परिसर में साफ सफाई कराने को लेकर आग्रह किया है. हर दिन साफ सफाई को दिया गया है निर्देश 14 मानव बल में कुछ को साफ सफाई के लिए कहा गया है. एक स्थायी रूप से सफाई कर्मचारी के रूप में बहाल है. कॉलेज परिसर में पशुओं के विचरण को लेकर सख्त आदेश जारी किया गया है. हर हाल में इसे बाहर करने के लिए पशु मालिक को आदेशित किया गया है. पीयू कुलपति के आदेश पर खाली करने के लिए कुछ दिनों के लिए मोहल्लत दिया गया है. वर्गकक्ष में बकरियों की झूंड किस तरह प्रवेश कर गया. इस पर ध्यान रखा जायेगा. प्रो शैलेन्द्र कुमार उपाध्याय, प्रभारी प्राचार्य, डीएस कॉलेज
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