गुरु पूर्णिमा पर संतमत सत्संग का किया गया आयोजन समेली संतमत सत्संग मंदिर खैरा में धूमधाम के साथ गुरु पूर्णिमा मनाया गया. प्रात: कालीन सत्संग स्तुति विनती के साथ प्रारंभ के पश्चात् महर्षि वेद व्यास के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गयी. पुनः भंडारा का आयोजन हुआ. तत्पश्चात् गुरु संत स्तुति विनती एवं सभी वक्ताओं ने गुरु वेद व्यास की जीवनी एवं उनके जीवन वृतांत को प्रवचन के माध्यम से सुनाया. चंद्रकिशोर बाबा ने प्रवचन में कहा कि गुरु-पूर्णिमा का यह परम् पवित्र उत्सव आषाढ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को बडे़ ही श्रद्धापूर्वक मनाया जाता है. भारतीय संस्कृति में गुरु-पूर्णिमा एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र अवसर है. इसे व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं. महर्षि व्यास ने हमारे राष्ट्र जीवन के श्रेष्ठतम गुणों को निर्धारित करते हुए, इसी दृष्टि से गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है. जिसे हमने श्रद्धापूर्वक मार्गदर्शक या गुरु माना है. व्यक्ति-निष्ठा नहीं, तत्व-निष्ठा हम सब यह जानते हैं कि हमारे संघ कार्य में हमने किसी व्यक्ति विशेष को गुरु नहीं माना. हमारे ऋषियों ने गुरु के गुण, विस्तार के साथ ईश्वर से भी श्रेष्ठ माना है. किसी भी मनुष्य को ऐसा अहंकार नहीं करना चाहिए कि मैं निर्दोष हूं और परिपूर्ण हूं. इसीलिए संघ कार्य में उचित समझा गया कि हम भावना, चिह्न, लक्षण या प्रतीक को गुरु मानें. हमने संघ कार्य के द्वारा सम्पूर्ण राष्ट्र के पुनर्निर्माण का संकल्प किया है. समाज के सब व्यक्तियों के गुणों तथा शक्तियों को हमें एकत्र करना है. ज्ञान यज्ञ में आनंदी मंडल, संजय कुमार यादव, मुकेश कुमार झा, राजीव रंजन, धनेश्वर दास, अंगद मंडल, शिवनंदन मालाकार, शंकर पंडित, अरविंद मंडल, दिवाकर मंडल, मोहनलाल पंडित, देवनारायण सहनी, जितन मंडल, श्रीमती शैलजा देवी, रंजना देवी, इंदु देवी आदि उपस्थित थे.
संबंधित खबर
और खबरें