Bihar : जानिए बिहार के किस जिले में रहते हैं सबसे कम हिंदू
Lowest Hindu population in Bihar : भले ही पूरे बिहार में हिंदूओं की आबादी ज्यादा है और उनकी मर्जी के बिना कोई सीएम नहीं बन सकता. लेकिन किशनगंज में सबसे कम हिंदू रहते हैं.
By Prashant Tiwari | October 4, 2024 10:08 AM
यूं तो बिहार का हर जिला अपने आप में खास है. कोई जिला अपनी प्राकृतिक सुंदरता तो कोई अपनी राजनीति साख के लिए जाना जाता है. लेकिन सूबे में कई जिले ऐसे भी है जो अपनी जनसंख्या और उसके अनुपात को लेकर चर्चा में बने रहते है. ऐसा ही एक जिला बिहार का किशनगंज भी है. भले ही पूरे बिहार में हिंदूओं की आबादी ज्यादा है और उनकी मर्जी के बिना कोई सीएम नहीं बन सकता. लेकिन इस जिले में सबसे कम हिंदू रहते हैं.
जुलूस निकालने के लिए लेनी पड़ती है इजाजत
बता दें कि बिहार का यह जिला एक ओर नेपाल तो दूसरी ओर से पश्चिम बंगाल से घिरा हुआ यह पूर्णिया डिविजन का हिस्सा है. ये शहर पूरे बिहार में चाय पैदा करने वाला एकमात्र जिला है. लेकिन आज हम बात यहां की चाय या सुंदरता की नहीं बल्कि आबादी की करेंगे कि कैसे यह जिला बिहार में रहने वाले अल्पसंख्यकों का गढ़ बन चुका है और भले ही बिहार में हिंदूओं की आबादी ज्यादा है लेकिन इस जिले में वह अल्पसंख्यक बन गए हैं. यहां उन्हें त्योहार के दौरान जुलुस निकालने के लिए भी प्रशासन से इजाजत लेनी पड़ती है.
2011 की जनगणना के अनुसार किशनगंज जिले की आबादी करीब 17 लाख थी. जिनमें से 11.49 लाख मुस्लिम थे, जबकि हिंदुओं की आबादी 5.31 लाख थी. जिले में जनसंख्या का घनत्व 898 प्रति व्यक्ति प्रति वर्ग किलोमीटर है. जिले की अधिसंख्य आबादी गांवों में रहती है. यह बिहार का अकेला जिला है जहां हिंदू अल्पसंख्यक है. जिले में करीब 68 फीसदी मुस्लिम आबादी और लगभग 31 फीसदी हिंदू आबादी है. वहीं, 1 प्रतिशत में अन्य धर्म के लोग शामिल हैं.
जिले के अधिकांश लोग मैथिली बोलते हैं. इसके बाद सुरजापुरी (42.61 फीसदी) बोलने वालों की तादाद भी अच्छी खासी है. उर्दू बोलने वालों की संख्या 32.62 फीसदी, उर्दू बोलने वालों की 9.05 और हिंदी बोलने वालों की संख्या 6.66 फीसदी है. इसके अलावा कुछ लोग बंगाली, संथाली, मैथिली और भोजपुरी में बोलते हैं.