-अधिक कॉपी किताब के ताम झाम नौनिहालों पर भारी पड़ रहा है.
-होम वर्क के कारण नहीं खेल-कूद पातें हैं बच्चें
-बच्चों के स्वभाव में आ रहा है चिड़चिड़ापन
-बस्ते के बोझ में गुम हो रहा बचपन
विश्व में हो रहे रिसर्च ने तो यह बात स्पष्ट कर दिया है कि बच्चों के विकास में होमवर्क और बस्ते का बोझ बहुत बड़ा बाधक है. रिसर्च में यह भी बताया गया है कि कक्षा चार के नीचे के बच्चों के लिए होमवर्क कम दिया जाए ताकि बच्चों को खेलने-कूदने का पर्याप्त समय मिल सके .
छात्रों को नहीं मिलता खेलने-कूदने का समय
विद्यालयों में होमवर्क का इतना अधिक लोड रहता है कि उनका बचपन कहां खो जाता है, उन्हें भी पता नहीं चलता और धीरे-धीरे उनके स्वभाव में भी परिवर्तन होता दिखता है. और वे बचपन से सीधे एक दबे हुए किशोर में परिवर्तित हो जाते है.
रोग प्रतिरोधक क्षमता में हो रही है कमी
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