ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता व पोषण दिवस बना जन-जागरूकता का सशक्त मंच
समुदाय को स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण के प्रति जागरूक करने की दिशा में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) एक कारगर पहल बनकर उभरा है.
By AWADHESH KUMAR | May 21, 2025 8:52 PM
किशनगंज. ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ बनाने और समुदाय को स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण के प्रति जागरूक करने की दिशा में ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस (वीएचएसएनडी) एक कारगर पहल बनकर उभरा है. यह दिवस न केवल एक आयोजन है, बल्कि यह गांव के हर वर्ग को स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ने का एक मंच है, जहां समुदाय आधारित निवारक और देखभाल सेवाएं सुलभ कराई जाती हैं. इस आयोजन के तहत प्रजनन स्वास्थ्य, मातृत्व देखभाल, नवजात और बाल स्वास्थ्य, किशोर स्वास्थ्य, संचारी और गैर संचारी रोगों की पहचान और परामर्श जैसी मूलभूत सेवाएं ग्रामीण स्तर तक पहुंचाई जाती हैं. इसके साथ ही पोषण संबंधी जागरूकता, शारीरिक विकास की निगरानी, स्तनपान और पूरक आहार के लाभ, मातृ पोषण एवं सूक्ष्म पोषक तत्वों का महत्व भी बताया जाता है.
ग्रामीणों की दहलीज पर दस्तक देती स्वास्थ्य सेवाएं
सभी को साथ लेकर चल रही है स्वास्थ्य यात्रा
जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. देवेन्द्र कुमार ने बताया कि आरोग्य दिवस पर जिले के हर प्रखंड के आंगनबाड़ी केंद्रों में एएनएम, आशा और आंगनबाड़ी सेविकाओं की टीम गर्भवती महिलाओं की जांच करती है. इसमें एनीमिया की पहचान, टीकाकरण, प्रसव पूर्व परामर्श, और उच्च जोखिम वाली गर्भवस्थाओं की विशेष निगरानी की जाती है. इसके साथ ही धात्री माताओं को शिशु को स्तनपान कराने की उपयोगिता और जरूरी जानकारी भी दी जाती है. उन्होंने कहा कि शिशु के पहले छह महीने केवल स्तनपान ही पर्याप्त है, इससे उन्हें संक्रमण से बचाया जा सकता है. यही नहीं माताओं को प्रोटीन युक्त आहार लेने की सलाह दी जाती है ताकि गर्भावस्था और प्रसव काल में किसी प्रकार की कमजोरी न हो.
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मातृत्व हो सुरक्षित, शिशु रहें स्वस्थ ही है असली सेवा का अर्थ. डा राज कुमार चौधरी ने कहा कि संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए विभाग लगातार प्रयासरत है, लेकिन केवल विभागीय पहल से ही लक्ष्य पूरे नहीं हो सकते. इसके लिए ग्रामीण परिवारों की जागरूकता और सक्रिय सहभागिता आवश्यक है. उन्होंने कहा कि गर्भावस्था के दौरान प्रसव पूर्व प्रबंधन, समय पर जांच और सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध सुविधाओं का उपयोग करना सुरक्षित मातृत्व की दिशा में सबसे महत्वपूर्ण कदम है. ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता एवं पोषण दिवस वास्तव में एक समग्र ग्रामीण स्वास्थ्य अभियान का हिस्सा है. इसमें सरकारी विभागों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, स्वास्थ्यकर्मियों और स्वयंसेवी संस्थाओं की संयुक्त भूमिका इसे सफल बनाती है. यदि समाज के सभी वर्ग इस पहल से सक्रिय रूप से जुड़ते हैं, तो ग्रामीण भारत में स्वास्थ्य और पोषण के क्षेत्र में एक सकारात्मक बदलाव अवश्य आएगा.
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