भारत-नेपाल सीमा से सटा सीमांचल क्षेत्र नशे के कारोबारियों के लिए बना सेफ जोन

भारत-नेपाल सीमा से सटा सीमांचल का इलाका इन दिनों नशे के कारोबारियों का सेफ जोन बनता जा रहा है. शराबबंदी के बाद इस इलाके में ड्रग्स का धंधा तेजी से परवान चढ़ने लगा है.

By AWADHESH KUMAR | May 21, 2025 9:07 PM
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पौआखाली. भारत-नेपाल सीमा से सटा सीमांचल का इलाका इन दिनों नशे के कारोबारियों का सेफ जोन बनता जा रहा है. शराबबंदी के बाद इस इलाके में ड्रग्स का धंधा तेजी से परवान चढ़ने लगा है. आए दिन किशनगंज अररिया, पूर्णिया जिले से ब्राउन शुगर, एमडी, स्मैक जैसे मादक पदार्थ के खेप पकड़ने जाने की खबर सुर्खियां बन रही है. ड्रग्स मतलब सूखे नशे का वह गोरखधंधा जिसके लत में पड़कर युवाओं का भविष्य अंधेरे के गर्त में तेजी से गुम होने लगा है. एक वक्त था जब ड्रग्स का कारोबार महानगरों या फिर कुछ चुनिंदा शहरों तक ही सीमित हुआ करता था किंतु आज सफेद पाउडर का यह काला धंधा सीमावर्ती जिलों में गांव गांव तक पांव पसारता नजर आने लगी है. खासकर किशनगंज जिले में सीमावर्ती थाना क्षेत्र जियापोखर, सुखानी, गलगलिया के कई ऐसे गांव हैं जहां से एसएसबी और पुलिस की कार्रवाई में कई बार इस गोरखधंधे का उजागर किया जा चुका है. इस धंधे में पड़ोसी देश नेपाल, पड़ोसी राज्य बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों से कई संदिग्ध कारोबारी पूर्व में पकड़े जा चुके हैं. परंतु अब किशनगंज के युवावर्ग इस कीमती और जानलेवा नशे के चंगुल में फंसकर अपनी जिंदगी को तबाह व बर्बाद करने में लगे हैं. नशे की एक छोटी सी पुड़िया के लिए इस इलाके के युवाओं ने मां बाप भाई बिरादर से झंझट करना और गांव बाजार में चोरी चकारी तक शुरू कर दी है. हालात ये है कि शरीफ लोगों का जीना दुभर होने लगा है लोग घंटे भर के लिए भी अपने घर आंगन प्रतिष्ठान आदि को खाली छोड़ना सुरक्षित नहीं समझते हैं. चंद पैसों की लालच और लत में आकर युवा आज मादक पदार्थों की तस्करी से लेकर सेवन तक के आदि बन चुके हैं. युवा लड़के सुबह से शाम तक सूखे नशे की पुड़िया को खपाने और सेवन में ही दिन जाया कर देते हैं. अच्छे अच्छे लोग जो इसके आदि हैं वे इन युवाओं के संपर्क में रहते हैं जिनसे एक एक पुड़िया के एवज में हजारों रुपए लेकर आपूर्ति की जाती है. ऐसा नही है कि समाज के जिम्मेदार लोग नही जान रहे हैं कि आखिर कौन तत्व ड्रग्स के कारोबार और लत के चक्कर में समाज को गंदा कर युवाओं के स्वर्णिम भविष्य को गर्त में पहुंचा रहा है, कौन लोग इस धंधे को शराफत का चोला ओढ़कर चालाकी से अंजाम दे रहा है. मगर अफसोस कि इस खतरनाक मिशन को कारोबार को रोकने में समाज के वैसे जिम्मेदार लोग जो जनप्रतिनिधि हैं सामाजिक कार्यकर्ता हैं बुद्धिजीवी हैं सामने आने से कतराते हैं जिसका परिणाम है कि नशे के सौदागर खुलेआम धीमा जहर के इस काले धंधे को अंजाम देकर अपने मंसूबों में कामयाब हो रहे हैं. हालांकि पुलिस और सीमा पर तैनात एसएसबी सटीक गुप्त सूचना के इंतजार में बैठी है ताकि कार्रवाई कर धंधेबाजों को धरदबोजा जा सके. लेकिन जिन जगहों गली मुहल्लों में सफेद पाउडर का धंधा खुलेआम परवान पर है उन मोहल्लों में रह रहे लोग भी सबकुछ देख जानकर तमाशबीन बने हुए हैं. वयस्क तो वयस्क नाबालिग भी इस नशे के चंगुल में फंसकर आर्थिक शारीरिक मानसिक रूप से कमजोर हो रहे हैं अभिभावकों में भी चिंता अपने बच्चों के भविष्य और स्वास्थ्य को लेकर दिन प्रतिदिन सताने लगी है. वक्त रहते समाज के जिम्मेदार लोगों को आगे आने और एक मजबूत पहल के साथ इसके रोकथाम को लेकर अपनी भूमिका निभानी होगी वर्ना देर हो जाएगी फिर हम हाथ पे हाथ धरे बैठे रहने के सिवाए और कुछ नही कर पाएंगे.

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