करोड़ों की मशीन बनी शो-पीस,धूल फांक रहा छपरा का कोच वाशिंग प्लांट और कंट्रोल रूम!

Chhapra News: छपरा जंक्शन के मगाइडीह ढाला पर करोड़ों की लागत से बना ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट उपयोग के अभाव में बेकार पड़ा है। कंट्रोल रूम पर ताले, मशीन निष्क्रिय और ट्रेनों में गंदगी से यात्री नाराज़ हैं. यह लापरवाही संसाधनों की बर्बादी और सार्वजनिक धन का दुरुपयोग दर्शाती है. जवाबदेही और निगरानी जरूरी है.

By Nishant Kumar | July 8, 2025 8:22 PM
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Chhapra Junction News: छपरा जंक्शन स्थित मगाइडीह ढाला के पास करोड़ों रुपये की लागत से बना ऑटोमेटिक कोच वाशिंग प्लांट इन दिनों उपयोग के अभाव में धूल फांक रहा है. यात्रियों को बेहतर सफाई सुविधा देने के लिए तैयार किया गया यह आधुनिक संयंत्र फिलहाल लावारिस स्थिति में पड़ा है, जिससे रेल प्रशासन की गंभीर लापरवाही उजागर हो रही है.

कंट्रोल रूम पर लटक रहा ताला, मशीन के पास पसरा सन्नाटा

ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, वाशिंग प्लांट के पास बना कंट्रोलिंग रूम अधिकांश समय बंद रहता है. यहां तक कि कई बार कमरे पर ताले लटके देखे गये, जिससे यह साफ होता है कि मशीन का नियमित उपयोग नहीं हो रहा. मौके पर सन्नाटा और गतिविधि का अभाव यह दर्शाता है कि रेलवे का दावा केवल कागजों पर सिमटा हुआ है.वहीं रेलवे अधिकारियों का कहना है कि छपरा से खुलने वाली ट्रेनों की स्वचालित सफाई इसी मशीन से की जाती है. सीडीओ अजीत कुमार के अनुसार, सेकेंडरी ट्रेनों की भी समय-समय पर सफाई की जाती है, लेकिन जब मशीन निष्क्रिय दिखे और कंट्रोल रूम में ताले पड़े हों, तो यह सवाल उठता है कि क्या सफाई सिर्फ रजिस्टर में हो रही है.

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यात्रियों की नाराजगी, सीटें गंदी, टॉयलेट से आता है दुर्गंध

यात्रियों का कहना है कि कई ट्रेनें बिना सफाई के ही प्लेटफॉर्म पर पहुंच जाती हैं. कोच के अंदर गंदगी, पान के छींटे, टॉयलेट की दुर्गंध अब आम बात हो गयी है. लंबी दूरी की ट्रेनों की हालत विशेष रूप से खराब होती है. जंक्शन पर सफाई कर्मियों की संख्या कम, निगरानी व्यवस्था कमजोर और पारदर्शिता का अभाव साफ तौर पर नजर आता है. ऑटोमेटिक वाशिंग प्लांट, जो कि मैनुअल सफाई पर निर्भरता कम करने और तकनीकी कुशलता बढ़ाने के लिए लगाया गया था, अब नाकाम योजना के रूप में देखा जा रहा है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि करोड़ों की मशीन केवल शोपीस बनकर रह जाये यदि मशीन को उपयोग में नहीं लाया जा रहा है तो यह संसाधनों की बर्बादी और सार्वजनिक पैसे की क्षति है. रेलवे को चाहिए कि मशीन के संचालन की नियमित निगरानी हो, संबंधित अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए और यात्रियों को ट्रेनों में स्वच्छता की गारंटी दी जाये.

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