BNMU को नसीब नहीं हो पाया 15 करोड़ का सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुउद्देशीय भवन

केंद्र सरकार के खेलो इंडिया के तहत बीएनएमयू से सात करोड़ का बहुउद्देशीय भवन एवं आठ करोड़ का सिंथेटिक ट्रेक बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा गया था.

By Kumar Ashish | May 2, 2024 6:46 PM
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अमित अंशु, मधेपुरा.

भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के खेल मैदान पर बनने वाला आठ लेन का सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुउद्देशीय भवन अब अधर में लटक चुका है. यहां करीब आठ करोड़ की लागत से सिंथेटिक ट्रेक एवं सात करोड़ की लागत से बहुउद्देशीय भवन का निर्माण होना था, जिसका निर्माण अब शायद नहीं हो पायेगा. जिसका सबसे बड़ा कारण विश्वविद्यालय अधिकारियों की लापरवाही के साथ-साथ खिलाड़ियों के भविष्य को अनदेखा करना होगा. लापरवाही का खामियाजा बीएनएमयू के खिलाड़ी भुगत रहे हैं. संसाधनों के अभाव में खिलाड़ियों को काफी परेशानी झेलनी पड़ती है. ऐसे में वे लोग पिछड़ जाते हैं और उनके उम्मीदों पर पानी फिर जाता है.

– बनना था सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुउद्देशीय भवन –

बीएनएमयू में 15 करोड़ की लागत से सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुउद्देशीय भवन का निर्माण होना था. जानकारी के अनुसार बीएनएमयू नार्थ कैंपस स्थित जुबली स्पोर्ट्स कंपलेक्स में खेल की सुविधा बढ़ाने के लिए विश्वविद्यालय की ओर से प्रयास किया गया. जिसके बाद केंद्र सरकार के खेलो इंडिया के तहत बीएनएमयू से सात करोड़ का बहुउद्देशीय भवन एवं आठ करोड़ का सिंथेटिक ट्रेक बनाने के लिए प्रस्ताव मांगा गया था.- सरकार के शर्तों को पूरा नहीं कर पाया बीएनएमयू -बीएनएमयू ने सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुदेशीय भवन का प्रस्ताव सरकार को भेजा. सरकार की ओर से स्थल निरीक्षण के लिए टीम भी आई थी. जानकारी के अनुसार सरकार द्वारा मैदान की सुरक्षा के लिए विश्वविद्यालय को सुझाव दिया गया था कि चाहरदीवारी का निर्माण महत्त्वपूर्ण है. इसके बाद सिंथेटिक ट्रैक एवं बहुदेशीय भवन के प्रस्ताव को स्वीकृति दी जायेगी, लेकिन बीएनएमयू, टीम के शर्त का पालन नहीं कर पाया और बात उससे आगे नहीं नहीं बढ़ पाया.

– बीएनएमयू में खेल के लिए जमीन पड़ गई कम –

ऐसा लगता है कि बीएनएमयू के 101 एकड़ की जमीन में खेल मैदान के लिए जगह कम पड़ गई है. मालूम हो कि बीएनएमयू के लिए खरीदी गई 101 एकड़ की जमीन में से पहले आगे से जननायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल को जमीन दी गई. इसके बाद बीपी मंडल अभियंत्रण महाविद्यालय को जमीन मिली. अंत में गड्ढे में विश्वविद्यालय का भवन बनाया गया और अपनी लापरवाही के कारण बीएनएमयू बहुउद्देश्यीय भवन एवं सिंथेटिक ट्रैक बनवाने से चूक गया.

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