
मुरलीगंज. कृषि उत्पादन बाजार समिति स्थित बिहार राज्य खाद्य निगम द्वारा बनवाए जा रहे खाद्यान्न भंडारण गोदाम के निर्माण में भारी अनियमितता को लेकर रविवार को स्थानीय जनप्रतिनिधियों और 20 सूत्री कार्यक्रम के उपाध्यक्ष सूरज जायसवाल ने निर्माण कार्य पर गंभीर सवाल खड़े किए. नगर पंचायत उपाध्यक्ष श्याम आनंद, पूर्व पार्षद बाबा दिनेश मिश्रा, पार्षद उदय चौधरी और प्रशांत कुमार ने निर्माण स्थल पर प्राक्कलन बोर्ड के नहीं लगे होने, निर्माण एजेंसी की जानकारी नहीं होने और कार्य की शुरुआत व समाप्ति तिथि के विवरण के अभाव को लेकर गहरी आपत्ति जतायी. उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य करीब 60 प्रतिशत पूर्ण हो चुका है, लेकिन पारदर्शिता का पूरी तरह अभाव है. 20 सूत्री उपाध्यक्ष सूरज जायसवाल ने आरोप लगाया कि निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि मीठा पाक ईंटें इस्तेमाल की जा रही हैं, जो हाथ लगाते ही उखड़ रही हैं. सीमेंट, बालू और गिट्टी का अनुपात भी तय मानकों से मेल नहीं खाता है. कहीं-कहीं दीवारों में दरारें भी आने लगी हैं. उपाध्यक्ष श्याम आनंद और पार्षद उदय चौधरी ने स्टीपनर निर्माण में निम्न गुणवत्ता के छड़ और नट-बोल्ट के उपयोग पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें वाइब्रेटर और स्टोन मिक्सर तक का इस्तेमाल नहीं किया गया है. उन्होंने बताया कि गैल्वेनाइज नट-बोल्ट की जगह घटिया लोहे के नट-बोल्ट डाले गये हैं, जो जल्दी ही जंग लगने के बाद कमजोर हो जाएंगे. पूर्व पार्षद दिनेश मिश्रा और प्रशांत कुमार ने भी कहा कि निर्माण में लाल बालू में स्थानीय सफेद बालू मिलाकर उपयोग हुआ है. जिसकी गुणवत्ता बेहद खराब है. चार हजार मीट्रिक टन और 500 मीट्रिक टन के दो गोदामों की छत पर मात्र 20 गेज का टीन लगाया गया है. जो एक हल्की आंधी में ही मुड़ चुका है. जबकि नियमानुसार 63 एमएस टाटा आईएसआई मार्का टीन का प्रयोग होना चाहिए. जनप्रतिनिधियों ने स्पष्ट रूप से मांग की कि इस निर्माण कार्य की उच्च स्तरीय तकनीकी जांच करायी जाये और दोषी एजेंसी पर विभागीय कार्रवाई हो. इस संबंध में बिहार राज्य खाद्य निगम के कार्यपालक अभियंता मो नासिर ने कहा कि प्राक्कलन बोर्ड नहीं लगा है तो दो-चार दिन में लगवा दिया जायेगा. ठेकेदार की लापरवाही से हट गया होगा. फिलहाल, मैं छुट्टी पर गांव में हूं, विस्तृत जानकारी कल दी जायेगी. स्थानीय लोगों ने भी निर्माण की गुणवत्ता पर चिंता जताई है और करोड़ों रुपये के अनाज के भविष्य को लेकर सवाल उठाए हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है